अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी का दावा 2016 के बाद 50 लाख लोग हुए बेरोजगार। 8 नवंबर 2016 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था नोटबंदी का ऐलान। 1000 और 500 रूपये के पुराने नोट किए गए थे बंद।
अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी का दावा, 2016 से 2018 के बीच 50 लाख लोगों ने नौकरियां गंवाई। जारी रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 की तीसरी तिमाही में शहरी और ग्रामीण लोगों की लेबर पार्टीशिपेशन फ़ोर्स में भागीदारी अचानक कम होने लगी। मतलब 2016 से नौकरियों में कमी आने लगी। वहीँ वर्ष 2017 की दूसरी तिमाही में भी इस दर में कमी आई। इसके बाद नौकरियों की संख्या लगातार कम होती चली गई।
नौकरियों में गिरावट का स्तर नोटबंदी के बाद शुरू हुआ। 2016 से 2018 के बीच शहरी एलएफपीआर की दर 5.8 फीसदी जबकि डब्ल्यूपीआर की दर 2.8 तक तक गिर गई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नौकरी का संकट भविष्य में भी जारी रहेगा। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि नोटबंदी से महिलाओं में ज्यादा बेरोजगारी बढ़ी है। जबकि 20 से 24 वर्ष की आयु वर्ग लोग ज्यादा बेरोजगार हुए हैं।
श्रम बल भागीदार दर को एलएफपीआर कहा जाता है। रिपोर्ट के अनुसार खासकर असंगठित क्षेत्रो में काम करने वाले 50 लाख लोगों ने नोटबंदी का बाद अपना रोजगार खोया है। सीएसई की रिपोर्ट लिखने वाले प्रोफेसर अमित बसोले ने कहा, हालांकि नौकरियां भले ही बड़ी हों लेकिन ये तय है कि 50 लाख लोगों ने अपना रोजगार खोया है। जोकि अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत नही हैं।
सीएसई की जारी रिपोर्ट में बताया गया कि अपनी नौकरी खोने वाले इन 50 लाख पुरषों में शहरी और ग्रामीण इलाकों से कम पढ़े-लिखे लोगों की संख्या ज्यादा है। इसी आधार पर निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि नोटबंदी ने असंगठित क्षेत्र को बर्बाद किया है।
सीएसई की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में ज्यादातर बेरोजगार उच्च शिक्षित और युवा वर्ग है। बेरोजगारों की संख्या में 20 से 24 आयुवर्ग के युवा ज्यादा हैं।
Samsung Galaxy A 80 भारत में लांच कर दिया गया है। जानिए ,सैमसंग गैलेक्सी A…
Weird Video: संडे के दिन महिला ने अपने सीसीटीवी कैमरे में अजीब प्राणी को देखा…
Who will succeed Iranian Supreme Leader Ali Khamenei
Waheeda Rehman: बॉलीवुड अभिनेत्री और योगा गर्ल शिल्पा शेट्टी ने अपने जमाने की मशहूर अदकारा…