Samudrayaan Mission: अंतरिक्ष में चंद्रयान ,गगणयान के बाद अब भारत समुद्र में समुद्रयान भेजने की तैयारी कर रहा है। एक शीर्ष महासागर संस्थान के दो वैज्ञानिक अगले वर्ष की शुरुआत में चेन्नई तट से 500 मीटर की गहराई तक 28 टन वजनी स्वदेश निर्मित मानवयुक्त पनडुब्बी का संचालन करेंगे।
भारत की गहन समुद्री अन्वेषण यात्रा
भारत एक ऐतिहासिक कदम उठाने की तैयारी कर रहा है। जहां चेन्नई के तट से गहन समुद्री गहराइयों की खोज के लिए एक स्वदेशी मानवयुक्त पनडुब्बी का परीक्षण किया जाएगा। यह खबर भारत को वैश्विक स्तर पर चुनिंदा देशों के समूह में शामिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
Samudrayaan Mission
राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) के दो प्रमुख वैज्ञानिक, रामेश राजू और जतिंदर पाल सिंह अगले वर्ष (2026) की शुरुआत में चेन्नई तट से 500 मीटर की गहराई तक 28 टन वजनी स्वदेशी मानवयुक्त पनडुब्बी मत्स्य-6000 का संचालन करेंगे।
यह परीक्षण भारत के गहन महासागर मिशन ( Deep Ocean Mission) का हिस्सा है। जिसका उद्देश्य महासागर की गहराइयों का वैज्ञानिक अन्वेषण करना है। वर्तमान में केवल अमेरिका, रूस, चीन, जापान और फ्रांस जैसे कुछ ही देशों के पास ऐसी मानवयुक्त गहन समुद्री क्षमता है। इस Samudrayaan Mission परीक्षण के सफल होने पर भारत इस प्रतिष्ठित समूह में शामिल हो जाएगा।
पनडुब्बी समुद्रयान परियोजना
यह पनडुब्बी समुद्रयान परियोजना का मुख्य हिस्सा है। जो पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत संचालित है। प्रारंभिक परीक्षण 500 मीटर की गहराई तक सीमित होगा, लेकिन इसका अंतिम लक्ष्य 6,000 मीटर की गहराई तक मानव को पहुंचाना है। NIOT निदेशक बालाजी रामकृष्णन ने कहा, “यह पहली बार होगा जब हम 6,000 मीटर की गहराई पर मानव भेजेंगे और सुरक्षा सर्वोपरि है। ”
Matsya-6000 का निर्माण जारी
भारत ने 2010 के दशक में वैश्विक निविदाओं के माध्यम से ऐसी पनडुब्बी खरीदने का प्रयास किया लेकिन तकनीकी प्रतिबंधों (technology denial) के कारण असफल रहा। इसके बादआत्मनिर्भर भारत की भावना से प्रेरित होकर NIOT ने इसे स्वदेशी रूप से विकसित करने का फैसला किया। परियोजना 2021 में तेजी से आगे बढ़ी और चेन्नई के NIOT कैंपस में मत्स्य-6000 का निर्माण चल रहा है।
Samudrayaan की विशेताएं
- Samudrayaan का वजन और क्षमता: 28 टन वजन, 3 सदस्यीय क्रू (पायलट सहित)।
- गहराई: 6,000 मीटर तक डिजाइन, प्रारंभिक परीक्षण 500 मीटर।
- सुरक्षा: सभी घटक डीएनवी (ग्लोबल रिस्क मैनेजमेंट संगठन) प्रमाणित। टाइटेनियम स्फीयर (80 मिमी मोटी) 600 बार दबाव सहन करने योग्य, जो ISRO के LPSC द्वारा विकसित।
- तकनीकी सुविधाएं: बाहरी रोबोटिक आर्म्स सैंपल संग्रह के लिए, कैमरे, पोर्टहोल्स, बाहरी लाइट्स, नेविगेशन जॉयस्टिक्स, और महासागरीय सेंसर। गति: 30 मीटर प्रति मिनट।
- DRDO, CSIR और ISRO जैसी संस्थाओं का सहयोग।
पहले भी हो चुके हैं Samudrayaan सफल परीक्षण
पिछले परीक्षणों में, जनवरी-फरवरी 2025 में कट्टुपल्ली पोर्ट में वेट टेस्टिंग सफल रही, जिसमें 5 मानवयुक्त और 5 अनमैनेड डाइव शामिल थे। अगस्त 2025 में, रामेश राजू और जतिंदर पाल सिंह ने फ्रेंच पनडुब्बी नॉटाइल पर 5,000 मीटर की गहराई का अनुभव प्राप्त किया। जो Matsya-6000 के विकास में सहायक सिद्ध हुआ।
Samudrayaan का महत्व
Samudrayaan मिशन भारत के 11,098 किलोमीटर लंबे तट को मजबूत करने और ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। महासागर संसाधनों (जैसे खनिज, जैव विविधता, गैस हाइड्रेट्स) का दोहन आर्थिक विकास को गति देगा। वैश्विक स्तर पर, यह भारत को रणनीतिक रूप से मजबूत बनाएगा, क्योंकि गहन समुद्री अन्वेषण ऊर्जा, खनन और पर्यावरण अध्ययन के लिए आवश्यक है।
Samudrayaan को लेकर NIOT प्रमुख का बयान
NIOT के डीप सी टेक्नोलॉजी ग्रुप हेड सेठुरमन रमेश ने कहा, “डीएनवी प्रमाणन मत्स्य-6000 को सबसे सुरक्षित पनडुब्बियों में से एक बनाएगा।” 2026 तक पूर्ण 6,000 मीटर डाइव का लक्ष्य है। जो ISRO के मानव अंतरिक्ष मिशन के समानांतर एक समुद्री उपलब्धि होगी।”
Samudrayaan Mission में चुनौतियाँ
- तकनीकी: उच्च दबाव (हर 10 मीटर पर 1 वायुमंडलीय दबाव बढ़ता है) और सीमित संचार।
- पर्यावरणीय: चक्रवात जैसे फेन्गल (2024) ने परीक्षणों को प्रभावित किया।
- सुरक्षा: जीवन समर्थन प्रणाली का परीक्षण प्राथमिकता।
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