कोरोना और ब्लैक फंगस के बाद अब आई नई बीमारी ‘डेथ बोन’ जिससे गल रही है हड्डियां
जुलाई 5, 2021 | by
मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में भर्ती 3 मरीजों में नई बीमारी एवैस्कुलर नेक्रोसिस पाई गई है। जिसका नाम डेथ बोन है। मेडिकल की भाषा में इसे अवैस्कुलर नेक्रोसिस कहा जाता है।
कोरोनावायरस महामारी के बाद तबाही मचाने के लिए ब्लैक फंगस के बाद अब एक और नया संकट पैदा हो गया है। म्युकरोमाइसिस यानी ब्लैक फंगस के बाद अब कोविड-19 से ठीक हुए मरीजों में एवैस्कुलर नेक्रोसिस यानी बोन डेथ के नए मामले देखने को मिल रहे हैं। इस बीमारी में लोगों के शरीर की हड्डियां गलने लगती है। मायानगरी मुंबई में एवैस्कुलर नेक्रोसिस के तीन मामले सामने आए हैं। इस नई बीमारी ने डॉक्टरों की चिंता को और बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले दिनों में इस बीमारी के मामले और ज्यादा बढ़ सकते हैं।
महाराष्ट्र के मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में भर्ती तीनों मरीजों की आयुष 40 साल से कम है। कोविड-19 होने के 2 महीने बाद ही उनमें एवैस्कुलर नेक्रोसिस के लक्षण विकसित होने लगे। ब्लैक फंगस और एवैस्कुलर नेक्रोसिस दोनों ही स्टेरॉयड के इस्तेमाल से जुड़ी हुई है। बता दें , कोरोना मरीजों के इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जाता है।
हिंदुजा अस्पताल के डायरेक्टर डॉक्टर संजय अग्रवाल ने कहा,” इन मरीजों को फीमर बोन यानी जांग की हड्डी में दर्द महसूस हुआ। यह तीनों मरीज डॉक्टर थे। जिसके कारण उन्हें लक्षण पहचानने में आसानी हुई और वह तुरंत इलाज के लिए अस्पताल में एडमिट हो गए।”
डॉ अग्रवाल ने कहा कि 36 साल के एक मरीज में कोरोना से ठीक होने के 67 दिन बाद एवैस्कुलर नेक्रोसिस की शिकायत मिली है। जबकि दो अन्य मरीजों में 57 और 55 दिनों के बाद इस बीमारी के लक्षण देखे गए हैं। सभी मरीजों को कोरोना के दौरान स्टेरॉयड दिए गए थे।
एवैस्कुलर नेक्रोसिस पर डॉ अग्रवाल का रिसर्च पेपर ‘एवैस्कुलर नेक्रोसिस ए पार्ट आफ लॉन्ग कोविड-19’ शनिवार को प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल ‘बीएमजे केस स्टडीज’ में प्रकाशित हुआ। जिसमें उन्होंने बताया कि कोरोना मामलों में जीवन रक्षक कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का बड़े पैमाने पर उपयोग के कारण ‘एवीएन’ मामलों में बढ़ोतरी होगी।
इसी दौरान कोयंबटूर के अस्पताल में म्युकरोमाइसिस के 264 मरीजों में से 30 मरीजों की एक आंख की रोशनी चली गई है। अस्पताल के शीर्ष अधिकारी ने रविवार के दिन यह जानकारी दी है। अस्पताल के डीन डॉ निर्मला ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि भर्ती किए गए सभी लोगों की एंडोस्कोपी की गई और 110 मरीजों की सर्जरी की गई। लेकिन गंभीर संक्रमण वाले 30 रोगियों की एक आंख की रोशनी चली गई थी। जो लोग शुरुआती चरण में एडमिट हुए थे वह पूरी तरह से ठीक हो गए थे।
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