कोरोना वायरस की जांच में इस्तेमाल की जाने वाली रैपिड एंटीबाडी टेस्ट किट में चीन ने पाकिस्तान के बाद अब भारत को चुना लगाया है। इससे पहले चीन ,पाकिस्तान को अंडरगारमेंट में इस्तेमाल किए जाने वाले कपड़े से बने फेसमास्क भेज चूका है।
ऐसे हुआ घोटाला
कोरोना वायरस का जनक देश चीन,इस महामारी को पुरे विश्व में फैलाने के बाद अब इसी की आड़ में अपना बिज़नेस कर रहा है। चीन ने पहले पाकिस्तान को को घटिया गुणवत्ता के फेसमास्क भेजकर भारी मुनाफा कमाया। अब भारत को कोवीड-19 का टेस्ट करने वाली रैपिड एंटीबाडी टेस्ट किट दुगने दामों में बेचीं हैं।
हालांकि इस गोरखधंधे में अकेला चीन ही मलाई नहीं खा रहा है। इसके जिम्मेदार कुछ भारतीय वितरक भी हैं। जिनमें से प्रमुख नाम ‘रियल मेटाबॉलिक्स’ है। जिन्होंने ऊंचे दामों पर किट को भारत में बेचा है।
मुददमेंबाजी में खुला राज
रैपिड टेस्ट किट घोटाले का पर्दाफाश उस समय हुआ जब वितरक और आयात करने वालों का मामला ,मुददमेंबाजी के बाद दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा।
आपको बता दें ,पश्चिम बंगाल और राजस्थान सहित कई राज्यों ने रैपिड एंटीबाडी टेस्ट किट के खराब परिणामों को देखते हुए इसके उपयोग पर रोक लगा रखी है।
रैपिड एंटीबाडी टेस्ट किट्स को आयात करने वाली कंपनी मेट्रिक्स ने 245 रुपए प्रति किट के हिसाब से खरीदा था। जबकि वितरण करने वाले आर्क फार्मस्यूटिकल्स और रियल मेटाबॉलिक्स ने सरकार को ये किट 600 रुपए प्रति नग बेचीं हैं।
बंदरबांट में हुआ खुलासा
तमिलनाडु में किट की आपूर्ति के लिए रियल मेटाबॉलिक्स ने दुसरी वितरक कंपनी आर्क फार्मास्युटिकल्स को इस गड़बड़झाले पर अपना एकाधिकार जताते हुए कोर्ट में चैलेंज किया था। रियल मेटाबॉलिक्स ने मेट्रिक्स द्वारा आयात की गई रैपिड टेस्ट किट को आर्क फार्मास्युटिकल्स द्वारा सप्लाई करने पर आपत्ति जताई थी।
उसने अपनी दलील में कहा था कि आर्क फार्मास्युटिकल्स द्वारा किट की तमिलनाडु में आपूर्ति करना एग्रीमेंट का उल्लंघन है। इसी दौरान कोर्ट की नजर किट के दामों पर पड़ी और इसे काफी महंगा बताया। जिसके बाद अदालत ने प्रति किट 400 रुपए के हिसाब से बेचने का निर्देश दिया।