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बालबांका तिवारी कभी करते थे 50 रूपये की मजदूरी आज हैं इंडियन आर्मी में अफसर

बालबांका तिवारी अपने परिवार के साथ फोटोः एचटी

ओडिशा की एक स्नैक फैक्ट्री में प्रतिदिन 50 रूपये की मजदूरी करने वाले बालबांका तिवारी की भारतीय सेना में सिपाही बनने से लेकर अफसर बनने तक की एक लंबी और कठिन यात्रा रही है।

” मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी।हम दो भाई-बहन हैं। मेरे पिता एक किसान हैं और हम एक संयुक्त परिवार में रहते हैं। दसवीं कक्षा पास करने के बाद मेरे पास काम करने के अलावा कोई चारा नहीं था।” बालबांका तिवारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया।

तिवारी ने बताया,” मैट्रिक पास करने के बाद काम पाने के लिए ओडिशा के राउरकेला में गया।वहां मैंने पहले कुछ महीने लोहे की फिटिंग फैक्ट्री में काम किया। फिर एक स्नैक फैक्ट्री में 12 कक्षा तक 50 रूपये प्रतिदिन कमाए। मैंने 12 कक्षा ओड़िशा से पास की।”

उसके बाद उन्होंने स्नातक के लिए स्थानीय कॉलेज में दाखिला लिया।एक दिन उनके चाचा ने अपने घर के नजदीक दानापुर में सेना की भर्ती रैली के बारे में बताया।

बालबांका तिवारी ने आगे बताया,” मेरे चाचा सेना में एक सिपाही थे,मैं भी सेना में भर्ती होकर देश सेवा करना और आजीविका कमाना चाहता था। मैंने सेना की भर्ती का टेस्ट दिया और दूसरे ही प्रयास में पास हो गया। सिपाही के पद पर मेरी पोस्टिंग साल 2012 में भोपाल के ईएमई ( इलेक्ट्रिकल मैकेनिकल इंजीनियरिंग कोर) केंद्र में हुई थी। ”

मध्य प्रदेश के भोपाल में पोस्टिंग के दौरान उन्हें सेना के कैडेट कॉलेज (ACC)के बारे में पता चला। जब उन्हें एक सिपाही से एक अधिकारी के पद पर पदोन्नत किया गया, उन्होंने कहा,”मैंने 2017 में IMA में टेस्ट दिया सफलता हासिल की और एसीसी में शामिल हो गया।आखिकार आज मैं एक कमीशंड आर्मी अफसर बन गया।

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