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दिल्ली हिंसा का एक साल पुरे होने पर बोले बीजेपी नेता कपिल मिश्रा,कहा-मैंने पिछले साल जो किया, जरूरत पड़ी तो दोबारा वही करूंगा

भारतीय जनता पार्टी के नेता कपिल मिश्रा ने कहा की उन्हें पिछले साल CAA NRC विरोध करने वालों खिलाफ दिए गए भाषण पर कोई पछतावा नहीं है । बोले-अगर दोबारा जरूरत पड़ी तो वही करूंगा, जो मैंने पिछले साल किया था ।

भारतीय जनता पार्टीके नेता कपिल मिश्रा ने कहा की उन्हें पिछले साल CAA NRC विरोध करने वालों खिलाफ दिए गए भाषण पर कोई पछतावा नहीं है । बोले-अगर दोबारा जरूरत पड़ी तो वही करूंगा, जो मैंने पिछले साल किया था ।

दिल्ली दंगा की बरसी पर बोले कपिल मिश्रा

कपिल मिश्रा ने पिछले साल पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगों से पहले एक भड़काऊ भाषण दिया था।  उन्होंने ये भाषण नागरिकता संशोधन बिल का विरोध कर रहे शाहीन बाग़ में बैठे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दिया था । दिल्ली हिंसा का एक साल पूरा होने के बाद भी उन्हें अपने भाषण पर कोई पछतावा नहीं है । उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह फिर वही दोहराएंगे । ये भी पढ़ें -पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को लेकर बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी ही सरकार पर साधा निशाना

मुझे कोई पछतावा नहीं है

आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक और वर्तमान में बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा ने कहा ,” जब भी सड़कों को अवरुद्ध किया जाएगा । लोगों को काम पर जाने से रोका जाएगा या बच्चों को स्कूल जाने से रोका जाएगा तो ‘कपिल मिश्रा’ वहीँ इसे रोकने के लिए खड़ा मिलेगा ।” ये भी पढ़ें -जानिए कौन हैं किसान नेता राकेश टिकैत जिनके पिता जी के हुक्के से कभी पूरी दिल्ली हिल जाती थी

“मुझे कोई पछतावा नहीं है । केवल पछतावा इस बात का है कि मैं आईबी अफसर अंकित शर्मा, दिनेश खटीक और अन्य दंगा पीड़ितों को नहीं बचा पाया । कांस्टेबल रत्न लाल को किसने मारा पता है ? उनको औरतों ने पत्थरों से पीट-पीटकर मारा । भारत में चाय और योग को कोई बंद नहीं कर सकता । चाय और योग वाला तुमसे झेला नहीं जा रहा। वो कत्ल भी कर दें, तो कोई चर्चा नहीं होता । हम आह भी भर दें, तो हो जाते हैं बदनाम ।” कपिल मिश्रा ने कहा ।

क्या है मामला ?

बता दें , 23 फरवरी, 2020 को, कपिल मिश्रा ने अपने विवादास्पद भाषण में दिल्ली के जाफराबाद में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ सड़क पर विरोध प्रदर्शन करने वालों को हटाने की धमकी दी थी। भाषण को सांप्रदायिक हिंसा के लिए ट्रिगर के रूप में एक वर्ग द्वारा दोषी ठहराया गया था । जो सीएए के समर्थकों और विरोधियों के बीच झड़पों के बाद आया था। दिल्ली दंगों में कम से कम 53 लोग मारे गए और अन्य घायल हुए थे ।

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