अवमानना मामले में कामरा ने माफ़ी मांगने से किया इंकार
भारत की सर्वोच्च अदालत को सौपे गए अपने एफिडेविट में कुणाल कामरा ने कहा,” मेरा ट्वीट न्यायपालिका में लोगों के विश्वास को कम करने के इरादे से नहीं है। ऐसे में अगर सर्वोच्च अदालत मानती है कि मैंने एक लाइन पार की है और मेरे इंटरनेट को अनिश्चितकाल के लिए बंद करना चाहता है। तो मैं भी अपने कश्मीरी दोस्तों की तरह हर 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं का पोस्टकार्ड लिखूंगा।”
कुणाल कमरा ने न्यायपालिका के खिलाफ अपने ट्वीट के लिए एससी के अवमानना नोटिस के जवाब में माफी मांगने से साफ इनकार कर दिया है। कुणाल ने अपने दायर किए गए हलफनामे में कहा कि चुटकुले वास्तविकता नहीं है और वह ऐसा होने का दावा नहीं करते हैं।
कुणाल के वकील ने कोर्ट में दलील दी है कि चुटकुले के लिए कोई विचार की आवश्यकता नहीं है और यह हास्य अभिनेता की अवधारणा पर आधारित होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करूंगा
सुप्रीम कोर्ट को सौंपे गए हलफनामे में कुणाल कामरा ने कहां,” मेरे ट्वीट न्यायपालिका में लोगों के विश्वास को कम करने के इरादे से नहीं है। ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट मानता है कि मैंने एक लाइन पार कर ली है और मेरे इंटरनेट को अनिश्चितकाल के लिए बंद करना चाहता है तो मैं भी अपने कश्मीरी दोस्तों की तरह हर 15 अगस्त को हैप्पी इंडिपेंडेंस डे पोस्टकार्ड लिखूंगा।”
कॉमेडियन की तरफ से कहा गया कि अदालत एक तरफ बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमले का मामला देख रही है और दूसरी तरफ मुनव्वर फारुखी जैसे कलाकारों को चुटकुले के लिए जेल में डाल दिया गया है। जो उन्होंने भी नहीं बनाया है। मैं सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों से सहमत हूं। लेकिन इस पीठ से वादा करता हूं कि मैं किसी भी फैसले का खुशी-खुशी सम्मान करूंगा और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की आलोचना नहीं करूंगा। क्योंकि यह वास्तव में कोर्ट की अवमानना होगी।
क्या है मामला ?
पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता के इस दावे के बाद कामरा के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया कि कॉमेडियन के ट्वीट निंदनीय थे। याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील निशांत आर कटनेश्वरकर ने कहा, “ये सभी ट्वीट निंदनीय हैं और हमने अटॉर्नी जनरल से सहमति मांगी थी।”