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दहेज प्रताड़ना पर अदालत की बड़ी टिप्पणी, कहा- घर का हर व्यक्ति नहीं हो सकता आरोपी

जून 6, 2022 | by

Court’s big comment on dowry harassment, said- every person in the house cannot be an accused

सत्र न्यायालय ने उच्च न्यायालय के 8 फरवरी 2022 के कौशर उर्फ सोनम एवं अन्य से संबंधित एक मामले के अलावा छह और फैसलों को अपने आधार पर बनाया। दहेज प्रताड़ना के लिए ससुराल का हर सदस्य आरोपी नहीं हो सकता यदि शिकायतकर्ता आरोप लगाती है तो उसके लिए उसे सुबूत भी देने होंगे। जो संबंधित परिवार के सदस्य की प्रताड़ना को साबित करते हो और छोटी-मोटी कहासुनी को प्रताड़ना नहीं कहा जा सकता।

न्यायाधीश संजीव कुमार का फैसला

कोर्ट ने यह टिप्पणी एक महिला के ससुर को दहेज प्रताड़ना व भरोसे के अपराधीकरण के आरोप में से मुक्त करते हुए की है। तीस हजारी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव कुमार की अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दहेज प्रताड़ना कानून इस लिए बनाया गया है ताकि महिला को ससुराल में प्रताड़ना से सुरक्षा मिल सके। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस कानून का बहुत दुरुपयोग होता आ रहा है। खुद देश के वरिष्ठ न्यायालय समय-समय पर इस बात का उल्लेख अपने फैसलों में कर चुके हैं कि शादी के बाद छोटी मोटी कहासुनी में सिर्फ ससुराल पक्ष के प्रत्येक सदस्य बल्कि दूसरों को झूठे मामलों में फंसाया गया है। जिनमें से कई साक्ष्यों के अभाव में बरी हो गए। लेकिन उन्हें मानसिक प्रताड़ना सहनी पड़ी।

चांदनी चौक इलाके में रहने वाली महिला ने 4 साल पहले 2018 में अपने पति सास ससुर के खिलाफ दहेज प्रताड़ना और अपराधीकरण का मुकदमा दर्ज कराया था। निचली अदालत ने आरोप तय कर दिए थे। निचली अदालत के इस निर्णय को ससुराल पक्ष की तरफ से सत्र अदालत में चुनौती दी गई थी।

परिवार के सभी सदस्य नहीं हो सकते आरोपी

अदालत ने निचली अदालत के निर्णय में बदलाव कर दिया है। कोर्ट ने शिकायतकर्ता महिला की सास पर दहेज प्रताड़ना और भरोसे के अपराधिक आरोप तय किए हैं। अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता महिला की सास पर लगे आरोपों को लेकर अभियोजन पक्ष के पास प्रथम दृष्टया साक्ष्य मौजूद हैं। शिकायतकर्ता ने प्रताड़ना का समय तरीका और निर्धारित तारीख पेश किया है। ऐसे में सास पर आरोप बनते हैं। जबकि ससुर के लिए यह सिर्फ कह देना पर्याप्त नहीं है कि शिकायतकर्ता ने उनसे पति की शिकायत की और उन्होंने यह कह दिया था कि उनका बेटा जो कर रहा है वह सही है।

उच्चतम न्यायालय

सत्र अदालत ने उच्चतम न्यायालय के 8 मई 2022 के सोनम एवं अन्य बनाम बिहार राज्य से संबंधित एक मामले के अलावा छह और निर्णय को अपने फैसले के आधार बनाया। सत्र अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय ने गहरी चिंता जाहिर करते हुए स्पष्ट तौर पर अपने फैसले में कहा था कि दहेज प्रताड़ना कानून का दुरुपयोग हो रहा है। पति के रिश्तेदारों को झूठे आरोपों में फसाया जा रहा है। यह चलन सा बन गया है।

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