दास्तान-ए-आजादी: फांसी के दिन भी व्यायाम कर रहे थे शहीद राजेंद्रनाथ लाहिड़ी

Rajendra Nath Lahiri: काकोरी कांड को अंजाम देने वाले शहीद राजेंद्रनाथ लाहिड़ी अपनी फांसी के दिन भी व्यायाम कर रहे थे। हैरान जेलर ने जब उनसे पूछा कि आज तो आपका आखिरी दिन है फिर कसरत करने का क्या लाभ। इस सवाल के जवाब में क्रांतिकारी ने जेलर को जो जवाब दिया था, उसे सुनकर जेलर भी हैरान रह गया था।

Rajendra Nath Lahiri:फांसी के दिन भी व्यायाम कर रहे थे

भारत अपनी आजादी की 79 वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस आजादी के लिए असंख्य लोगों ने कुर्बानियां दी हैं। जिनमें से कुछ क्रांतिकारी ऐसे भी हैं, जिनके नाम इतिहास के पन्नों से गायब हैं। ऐसे ही स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी शहीद राजेंद्रनाथ लाहिड़ी भी थे। उन्होंने पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान , ठाकुर रोशन सिंह, शचीन्द्रनाथ बख्सी, केशव चक्रवर्ती , चंद्रशेखर आजाद, बनवारी लाल,  मुकुन्दी लाल , मुरारी लाल और मन्मथनाथ गुप्त के साथ मिलकर काकोरी कांड को अंजाम दिया था।

काकोरी कांड

दरअसल, इसे काकोरी एक्शन के नाम से जाना जाता है। इस एक्शन की योजना राजेंद्रनाथ लाहिड़ी ने बनाई थी। 9 अगस्त 1925 को यूपी के शाहजहांपुर से लखनऊ आ रही ट्रेन को क्रांतिकारियों ने काकोरी के पास लूट लिया था। इसमें भारतीय नागरिकों के मेहनत की कमाई थी। जिससे अंग्रेज अपना खजाना भरना चाहते थे। ट्रेन लूट के दौरान मन्मथनाथ गुप्ता से अनजाने में गोली भी चल गई थी। जिसमें एक नागरिक मारा गया था।

दरअसल, क्रांतिकारियों को अपने मिशन के लिए धन की जरूरत थी और वो नहीं चाहते थे कि किसी भारतीय को लुटा जाए। इससे पहले वे अंग्रेजों के मुखबिरों का धन लुटते थे, जो जमींदार होते थे। इसलिए काकोरी एक्शन का प्लान बनाया गया ताकि अपने मिशन को पूरा किया जा सके और अंग्रेजों को खुलेआम ललकारा जा सके। काकोरी कांड के बाद क्रांतिकारियों को फांसी की सजा सुनाई गई। उन्ही में से एक क्रांतिकारी राजेंद्रनाथ लाहिड़ी भी थे।

फांसी और कसरत

जिस दिन राजेंद्रनाथ लाहिड़ी को फांसी दी जानी थी,उसी सुबह वो व्यायाम कर रहे थे। उन्हें कसरत करते हुए देखकर जेल का जेलर हैरान हो गया और पास आकर पूछा कि जब आज मौत ही होनी है तो फिर व्यायाम का क्या लाभ ? जेलर के सवाल के जवाब में राजेंद्रनाथ लाहिड़ी ने कहा,”मैं हिंदू हूं और पुनर्जन्म में विश्वास रखता हूं। मैं चाहता हूं कि अगले जन्म में स्वस्थ शरीर के साथ पैदा होऊं और अपने अधूरे काम को पूरा कर सकूं ताकि मेरा देश आजाद हो जाए “

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