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चांद के जिस हिस्से पर दुनिया का कोई देश नहीं पहुंच पाया वहां उतरेगा भारत का चंद्रयान 2

चांद पर उतरने के बाद रोवर वहां की मिटटी का रासायनिक विश्लेषण करेगा। वहीं लैंडर चंद्रमा की झीलों को भी मापेगा और अन्य चीजों के अलावा खुदाई भी करेगा।

चांद पर उतरने के बाद रोवर वहां की मिटटी का रासायनिक विश्लेषण करेगा। वहीं लैंडर चंद्रमा की झीलों को भी मापेगा और अन्य चीजों के अलावा खुदाई भी करेगा।

भारत का चंद्रयान 2 (Chandrayaan2 )श्रीहरिकोटा (Sriharikota )से प्रक्षेपण होने के बाद चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के करीब लैंडिंग करेगा। इस जगह पर अभीतक अमेरिका समेत किसी भी देश का यान नहीं पहुंचा है। विक्रम लैंडर से अलग होने के बाद यह ऐसे क्षेत्र की तरफ बढ़ेगा जिसके बारे में अभी तक बहुत कम खोजबीन हुई है। ज्यादातर चंद्रयानों की लैंडिंग उत्तरी गोलार्ध या भूमध्यरेखीय क्षेत्र में हुई है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन( ISRO ) की तरफ से एक अधिकारी ने चंद्रमा ( Moon )के दक्षिण ध्रुव के करीब स्थान चुनने के बारे में बताया ,” इस बार हम ऐसे स्थान पर जा रहे हैं जहां इससे पहले कोई नहीं गया। ”

इसरो के प्रमुख के सिवन ने कहा ,” विक्रम का 15 मिनट का अंतिम तौर पर उतरना सबसे ज्यादा डराने वाले पल होंगे , क्योंकि हमने कभी भी इतने जटिल मिशन पर काम नहीं किया है। ”

साल 2009 में चंद्रयान 1 के बाद चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं का पता लगाने के बाद भारत (India ) ने चंद्रमा की सतह पर पानी की खोज जारी रखी। चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी से ही भविष्य में यहां मानव जाति के रहने की संभावना बन सकती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भाषण में साल 2022 तक मानव को अंतरिक्ष में भेजने की बात कही है। ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि इस ‘मिशन चंद्रयान’ से ज्यादा फायदा नहीं मिलने वाला है। लेकिन भारत का कम खर्च वाला यह मॉडल कमर्शियल उपग्रहों और ओर्बिटींग की डील हासिल कर पाएगा।

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