21 Years Of Kargil War: कारगिल वॉर में भारतीय सेना ने ऐसे चटाई थी पाकिस्तान को धूल

आज पूरा देश कारगिल विजय दिवस की 21वीं वर्षगांठ मना रहा है। कारगिल वॉर भारत और पाकिस्तान के बीच हुए ऐसे युद्ध की कहानी है जो आपके रोंगटे खड़े कर देगी। भारत ने 21 साल पहले आज ही के दिन पाकिस्तान को धूल चटाई थी।

कैसे हुई कारगिल युद्ध की शुरुआत ?

साल 1999 में पाकिस्तान की सेना और आतंकवादियों द्वारा जम्मू कश्मीर के कारगिल ,द्रास ,बटालिक की कई पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया गया था। चूंकि इस क्षेत्र में ज्यादा बर्फ और ठंड होने के कारण इंडियन आर्मी की कोई बटालियन तैनात नहीं थी। दूसरा ऊंचे पहाड़ होने के कारण यहां सेना की तैनाती की कोई जरूरत भी नहीं समझी गई थी। जिसका पाकिस्तान ने फायदा लेने की नाकाम कोशिश की थी।

5 मई 1999 को भारतीय सेना की 4 पेट्रोलिंग पार्टी को इलाके की निगरानी के लिए ऊंचे पहाड़ों पर भेजा गया। ऊपर टॉप में में बैठी हुई पाकिस्तान की सेना और आतंकवादियों ने पेट्रोलिंग गए हुए हमारे पांच सैनिकों को बंधक बना लिया। उन्हें यातनाएं दी गई और उनको टुकड़ों में काट दिया गया।

जिसके बाद 6 मई 1999 को दिल्ली रक्षा मंत्रालय हेडक्वार्टर खलबली मची। 8 मई 1999 को यही खबर पाकिस्तान स्थित इस्लामाबाद हेड क्वार्टर पहुंची। 9 मई को पाकिस्तान ने अपनी तोपों से भारी गोलाबारी की। जिसमे भारतीय सेना का गोला बारूद का भंडार ध्वस्त हो गया।

इसके बाद दिल्ली में 10 मई को कैबिनेट की मीटिंग हुई। 14 मई को कैप्टेन सौरभ कालिया और उनकी टीम को पाकिस्तान की सेना ने बंधक बना लिया। उनके छोटे-छोटे टुकड़े कर बोरों में भरकर फेंक दिए।

16-17 मई 1999 को पता चला कि पाकिस्तानी सेना ने कारगिल के उत्तर दिशा में कई पहाड़ियों पर कब्जा किया हुआ है। उनके पास हथियार और गोला बारूद का भंडार था। ऊंचाई पर होने के कारण,पाकिस्तान द्वारा की जा रही गोलाबारी से भारतीय सेना को काफी नुकसान हो रहा था। जिसके बाद 18 मई 1999 को ये खबर रक्षा मंत्रालय को भेजी गई। जिसके बाद 19 मई 1999 को कारगिल युद्ध की आधिकारिक घोषणा हुई। 24 मई को भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर कब्जा किया।

प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस

25 मई 1999 को 7 रेस कोर्स रोड प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। जिसमें कारगिल वॉर की सारी स्थिति के बारे में मीडिया को बताया गया। उसके बाद तत्कालीन एयर चीफ मार्शल एएवाई टिपणिस ने एयर स्ट्राइक का आर्डर दिया। 26 मई 1999 को पठानकोट और श्रीनगर एयरबेस से लड़ाकू विमानों की उड़ानें भरी गई। जिसके बाद इंडियन आर्मी ने ऑपरेशन विजय और एयर फोर्स का ऑपरेशन सफेद सागर शुरू हुआ।

फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता

27 मार्च को फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता अपना मिग 27 विमान लेकर उड़े। चूंकि पहाड़ की ऊंची छोटी पर बैठे दुश्मन ने स्ट्रिंगर मिसाइल से नचिकेता के विमान पर प्रहार किया। जिससे उनका लड़ाकू विमान क्षतिग्रस्त हो गया। नचिकेता ने पैराशूट से जंप किया। लेकिन बदकिस्मती से एलओसी के उस पार लैंड कर गए। दुश्मन के इलाके में उन्हें बंधक बनाकर प्रताड़ना दी गई।

स्क्वार्डन लीडर अजय आहूजा

नचिकेता के बाद स्क्वार्डन लीडर अजय आहूजा ने अपने मिग से उड़ान भरी। दुश्मन ने फिर हमला किया। उनका जहाज क्षतिग्रस्त हुआ और जैसे ही उन्होंने पैराशूट से लैंड करने की कोशिश की दुश्मन ने उनको हवा में ही गोलियों से छलनी कर दिया और अफसर आहूजा शहीद हो गए।

5 जून 1999 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 3 घुशपैठियों को मार गिराया। उनके पास से पाकिस्तानी सेना के पहचान पत्र मिले। जिसके बाद ये साबित हो गया कि इस छद्म युद्ध के पीछे पाकिस्तान का हाथ है। मामला इंटरनेशनल लेवल तक उठा। 13 जून तक इंडियन आर्मी ने द्रास सेक्टर के तोलोलिंग और बटालिक पर अपना कब्जा कर लिया। 15 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति विल कलिंक्टन ने परवेज मुशर्रफ के साथ फोन पर बात कर अपनी सेना को पीछे हटने की सलाह दी।

29 जून 1999 को भारतीय सेना ने टाइगर हिल के दो महत्वपूर्ण हिस्सों पर कब्जा कर लिया। 3 जुलाई की रात को दोनों देशों की सेनाओं में भयंकर युद्ध हुआ। भारतीय सेना अब आरपार के मूड में थी। 14 घंटे चली इस लड़ाई में भारतीय सेना का काफी नुक्सान हुआ लेकिन पाकिस्तान को धूल चटाते हुए टाइगर हिल पर भारतीय सेना ने तिरंगा फहरा दिया।

ऑपरेशन विजय की आधिकारिक घोषणा

5 जुलाई को पूरा द्रास सेक्टर भारतीय सेना के कब्जे में आ गया। इसके बाद जब पाकिस्तानी सेना चारों तरफ से घिरने लगी तो नवाज शरीफ ने अपनी सेना को वापिस बुलाने की घोषणा कर दी। जिसके बाद 26 जुलाई को पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय की आधिकारिक घोषणा कर दी।

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