कानपूर : विकास दुबे का एनकाउंटर करने वाली पुलिस टीम को मिली क्लीन चिट

यूपी के कानपुर के बिकरु गांव में पुलिस कर्मियों का एनकाउंटर करने वाले कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे केस में जांच आयोग ने पुलिस टीम को क्लीन चिट दे दी है। जांच आयोग ने कहा कि गैंगस्टर की पत्नी शामिल नहीं हुई थी।

उत्तर प्रदेश के कानपुर में गैंगस्टर विकास दुबे को मार गिराने वाली पुलिस टीम को क्लीन चिट मिल गई है। बिकरू  कांड की जांच के लिए बने न्यायिक आयोग ने पुलिस टीम को क्लीन चिट दे दी है। इस आयोग की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस बीएस चौहान कर रहे थे। इंक्वायरी कमीशन ने इस बात को स्वीकार किया है कि विकास दुबे और उसके गैंग के स्थानीय पुलिस के साथ साथ ही जिले के राज्य और प्रशासनिक अधिकारियों का संरक्षण मिला हुआ था।

गैंगस्टर विकास दुबे का एनकाउंटर करने वाली पुलिस टीम को मिली क्लीन चीट 

जांच आयोग का कहना है कि गैंगस्टर विकास दुबे को उसके घर पर पुलिस की रेड होने का जानकारी स्थानीय पुलिस स्टेशन चौबेपुर से मिली थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच आयोग की रिपोर्ट गुरुवार को विधानसभा में पेश की थी। जांच आयोग में भी बिकरू कांड मामले में 132 पूरे पेज की रिपोर्ट तैयार की गई है।  जिसमें पुलिस और न्यायिक सुधार संबंधी कई रिकमेंडेशन की गई है। रिपोर्ट के साथ ही 665 पन्नों की फैचुअल जानकारी भी राज्य सरकार को सौंपी गई है।

आपको बता दें कि बिकरू कांड की जांच के लिए एक जांच आयोग का गठन किया गया था। हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज शशीकांत अगरवाल और पूर्व डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस के एल गुप्ता भी शामिल थे।

2 जुलाई 2020 की रात को हुई थी मुठभेड़ 

बिकरू गांव में 2 जुलाई 2020 की रात को पुलिस रेड मारने गई थी। जहां विकास दुबे और उसके गैंग ने 8 पुलिसकर्मियों की निगमता पूर्वक हत्या कर दी। इस घटना के बाद आरोपियों की पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी।  इस मामले की जांच के लिए आयोग का गठन किया गया। अब जांच आयोग ने एनकाउंटर करने वाली पुलिस की टीम को क्लीन चिट दे दी है। इस मामले की जांच के बाद आयोग ने कहा कि पुलिस पक्ष और घटना से संबंधित सबूतों के गठन के लिए मीडिया और जनता में से कोई भी सामने नहीं आया है।

दुबे की पत्नी ऋचा ने एनकाउंटर को फर्जी बताया था 

आयोग ने कहा कि वह विकास दुबे की पत्नी ऋचा ने एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए हलफनामा दिया था। लेकिन वह आयोग के सामने पेश नहीं हुई है।  इसलिए पुलिस पर शक नहीं किया जा सकता। मजिस्ट्रेट जांच में भी यही निष्कर्ष सामने आया था।

राज्य सरकार द्वारा गठित जांच आयोग ने कहा कि संरक्षण मिलने के कारण से ही विकास दुबे का नाम सर्किल टॉप 10 क्रिमिनल लिस्ट में तो शामिल था। लेकिन जिले के टॉप 10 क्रिमिनल की लिस्ट में नहीं था। उसके खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज थे। हैरान करने वाली बात यह है कि पुलिस ने उसके गैंग के सदस्यों को सांप्रदायिक मामले निपटाने के लिए बनाई गई समिति में शामिल किया हुआ था।

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