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हर साल 15 जनवरी को क्यों मनाया जाता है सेना दिवस ?

जनरल करिअप्पा ने 1947 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में भारतीय सेना की कमान संभाली थी। देश आजाद होने के बाद कई प्रशासनिक समस्याएं पैदा होने लगी थी और फिर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को आगे आना पड़ा था। भारतीय सेना के अध्यक्ष तब भी ब्रिटिश मूल के ही हुआ करते थे। 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल केएम  करिअप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बने थे। उस समय सेना में लगभग दो लाख के करीब जवान थे।

भारत में इस बार 73वां सेना दिवस मनाया जा रहा है। यह हर साल 15 जनवरी को मनाया जाता है। देश में हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है।

सेना दिवस 2021

इस साल यानी 2021 में भारत 73वां सेना दिवस मना रहा है। सेना दिवस के अवसर पर सैन्य प्रदर्शनी,परेडों और अन्य प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। देश भर की हर छावनी में आज सेना दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। भारतीय सेना के मुख्यालय नई दिल्ली में विश्व सेना दिवस मनाया जा रहा है।

कब सेना दिवस की शुरुआत हुई

थल सेना दिवस के अवसर पर पूरा देश थल सेना की वीरता अदम्य साहस शौर्य और बहादुर जवानों की कुर्बानी को याद करता है। भारतीय सेना दिवस हर साल 15 जनवरी को फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा के सम्मान में मनाया जाता है। दरअसल साल 1949 मे आज ही के दिन भारत के अंतिम ब्रिटिश कमांडर इन चीफ जनरल फ्रांसीस बूचर के जगह तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल केएम करिअप्पा ने ली थी।

जनरल करिअप्पा ने 1947 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में भारतीय सेना की कमान संभाली थी। देश आजाद होने के बाद कई प्रशासनिक समस्याएं पैदा होने लगी थी और फिर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को आगे आना पड़ा था। भारतीय सेना के अध्यक्ष तब भी ब्रिटिश मूल के ही हुआ करते थे। 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल केएम  करिअप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बने थे। उस समय सेना में लगभग दो लाख के करीब जवान थे।

जनरल करियप्पा के सेना प्रमुख बनाए जाने के बाद से ही हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाने लगा। देश में हर साल 15 जनवरी को जवानों की टुकड़ी या और अलग-अलग रेजिमेंट की परेड होती है। सेना अपनी छावनी में झांकियां भी निकालती है।

फील्ड मार्शल जनरल के एम करिअप्पा

आर्मी डे को हर साल बेहद उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। आपको बता दें जनरल के एम करिअप्पा पहले ऐसे अधिकारी थे, जिन्हें फील्ड मार्शल की रैंक दी गई थी। उन्होंने 1947 में भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना को कमांड भी किया था। जनरल करियप्पा 1953 में भारतीय सेना से रिटायर हो गए थे और 1993 में 94 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था।

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