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दो बार नोबेल पुरस्कार जीतने वाली मैडम मैरी क्यूरी की अपनी खोज के कारण गई थी जान

मैडम मैरी क्यूरी को दो बार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 1903 में उन्हें भौतिकी और 1911 में रसायन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला था।आज महान शोधकर्ता मैडम मैरी क्यूरी की जयंती है।

मैडम मैरी क्यूरी को दो बार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 1903 में उन्हें भौतिकी और 1911 में रसायन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला था।आज महान शोधकर्ता मैडम मैरी क्यूरी की जयंती है।

नोबेल पुरस्कार

दुनियाभर की महिलाओं ने अपने दम पर अपने देश का नाम रोशन किया है। 1901 से साल 2018 तक 52 महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रो में नोबेल पुरस्कार मिल चूका है। केवल एक महिला मैडम मैरी क्यूरी (Marie Curie ) को दो बार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें 1903 में फिजिक्स और 1911 कैमिस्ट्री के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला है।

मैडम मैरी क्यूरी

आज महान शोधकर्ता मैडम मैरी क्यूरी की जयंती है। मैडम मैरी क्यूरी उन शख्शियतों में से एक थी। जिनकी डिक्शनरी में असंभव नाम का शब्द नहीं था।

मैरी क्यूरी पुरे वर्ल्ड के लिए एक आदर्श उदाहरण हैं। मैरी क्यूरी और उनके पति पियरे ने रेडियो एक्टिविटी की खोज की थी। इस अधभुत खोज के लिए मैडम मैरी क्यूरी और पियरे को 1903 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

पेरिस यूनिवर्सिटी में पहली महिला प्रोफेसर बनी मैडम मैरी क्यूरी को दूसरा नोबेल पुरस्कार साल 1911 में रसायन में रेडियम के शुद्धिकरण और पोलोनियम की खोज के लिए मिला था।

वार्सा

मैडम मैरी क्यूरी का जन्म 7 नवंबर 1867 पोलैंड‌ (Poland ) के वार्सा ( warsaw )में हुआ था। मैरी क्यूरी के माता-पिता शिक्षक थे। शिक्षक परिवार में जन्मी मैडम मैरी क्यूरी शुरू से ही पढ़ाई-लिखाई में तेज थी। अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए मैरी क्यूरी पेरिस चली गई थी।

शादी

जहां उनकी मुलाक़ात फ्रांस के भौतिक शास्त्री पियरे क्यूरी से हुई। पियरे की प्रयोगशाला में दोनों को काम करते हुए एक दूसरे से प्यार हो गया और 26 जुलाई 1895 में दोनों ने शादी कर ली थी।

साल 1906 में पियरे क्यूरी( Pierre Curie) की एक कार एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई थाई। साल 1935 में मैरी क्यूरी की बेटी आइरिन को रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार मिला था। रेडिएशन के संपर्क में आने से मैडम मैरी क्यूरी को अप्लास्टिक अनीमिया हो गया था। जिसके चलते 4 जुलाई 1934 को उनकी मौत हो गई थी।

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