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नसीरुद्दीन शाह ने अवार्ड से बनाए वाशरूम के हैंडल,कहा-मेरी नजर में इनकी कोई कीमत नहीं है

नसीरुद्दीन शाह ने अवार्ड से बनाए वाशरूम के हैंडल,कहा-मेरी नजर में इनकी कोई कीमत नहीं है

Naseeruddin Shah News: बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने एक इंटरव्यू में अवार्ड्स को लेकर बड़ी बात कही है। जब उनसे पूछा गया कि क्या खुद को मिलने वाले अवार्ड्स को बाथरूम के हैंडल बनाकर इस्तेमाल करते हैं ? शाह ने इस सवाल का हां में जवाब दिया।

दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह पिछले कई दशक से दर्शकों का मनोरंजन करते हुए आ रहे हैं। अभिनेता इन दिनों अपनी वेब सीरीज ताज:रेन ऑफ़ रिवेंज  को लेकर चर्चा में हैं। इसके अलावा अपने बेबाक ब्यानों के चलते भी नसीरुद्दीन शाह सुर्ख़ियों में रहते हैं। अब अभिनेता ने कहा कि वे खुद को मिलने वाले अवार्ड्स का इस्तेमाल वाशरूम के दरवाजे के हैंडल की तरह करते हैं।

नसीरुद्दीन शाह ने एक इंटरव्यू में खुद को मिले अवार्ड्स को लेकर बात कही है। जब उनसे पूछा गया कि क्या ये बात सही है कि खुद को मिलने वाले अवार्ड्स का इस्तेमाल अपने फॉर्महॉउस के दरवाजे के हैंडल की तरह करते हैं। इस सवाल का जवाब देते हुए नसीरुद्दीन शाह ने कहा, हां ये बात सही है।

अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने कहा,” अब मुझे इन अवार्ड्स में कोई वैल्यू नजर नहीं आती है। शुरूआती दिनों में जब मुझे अवार्ड मिलते थे तो मैं खुश होता था। लेकिन फिर मेरे चारों तरफ ट्राफियां इकट्ठा होने लगी। बाद में मैं समझ गया कि ये सब लाबिंग का नतीजा है। किसी को पुरस्कार उसकी योग्यता के अनुसार नहीं मिल रहे हैं। इस लिए मैंने इनका पीछा छोड़ दिया। ‘

पिता जी की याद आई

शाह ने कहा ,” जब मुझे पद्म श्री और पद्म भूषण मिला तो मुझे अपने पिता जी की याद आ गई। वो हमेशा मेरी नौकरी के बारे में चिंतित रहते थे। कहते थे कि ये फालतू काम करोगे तो मुर्ख बन जाओगे। जब मैं अवार्ड लेने राष्ट्रपति भवन गया तो मैंने ऊपर आसमान की तरफ देखा और पूछा कि क्या वो ये सब देख रहे हैं। वह देख रहे थे। मुझे यकीन है कि वह बहुत खुश थे। ”

पहलवानो के समर्थन में बोले

इससे पहले अभिनेता ने सुदीप्तो सेन की द केरला स्टोरी फिल्म के बारे में बात की थी। उन्होंने इसे एक खतरनाक ट्रेंड घोषित किया था। महिला पहलवानों के समर्थन में बोलते हुए नसीरुद्दीन शाह कहा ,” हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का महत्वपूर्ण मुद्दों पर चुप रहना कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कहा ,”क्या कोई इन महिला पहलवानों पर फिल्म बनाएगा, जो हमारे लिए मेडल लेकर आई हैं। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का जरूरी मसलों पर चुप्पी साधना कोई नई बात नहीं है वह हमेशा से ऐसा करते आए हैं। “

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