अनाथालय में पले-बड़े हुए भारत के लिए गोल्ड मैडल जीतने वाले पैरा-एथलीट नारायण ठाकुर के बारे में जानिए
दिसम्बर 14, 2020 | by pillar
पैरा-एथलीट नारायण ठाकुर, जो एक अनाथालय में पले-बड़े हुए,आजीविका कमाने के लिए बसों की सफाई की, ने साल 2018 में जकार्ता में आयोजित एशियन पैरा गेम्स में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था। यहां,जानिए उनके बारे में।
नारायण ठाकुर ने रचा इतिहास
27 वर्षीय नारायण ठाकुर ने वर्ष 2018 में जकार्ता में आयोजित एशियाई पैरा खेलों में पुरुषों की 100 मीटर टी 35 वर्ग में स्वर्ण पदक प्राप्त कर इतिहास रचा था। वह भारत के ऐसे एकमात्र पैरा-एथलीट हैं, जिनको ये गौरव प्राप्त हुआ। लेकिन काफी लोगों को नारायण ठाकुर के इस मुकाम तक पहुंचने के लिए लड़ी गई जिंदगी की लड़ाइयों के बारे शायद नहीं पता होगा।
लकवाग्रस्त हो गए थे ठाकुर
पैरा-एथलीट नारायण ठाकुर बाएं तरफा रक्तस्राव से पीड़ित हैं। इस स्थिति के तहत, मस्तिष्क का दौरा पड़ने के बाद उनके शरीर का बायाँ हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था। जिस समय नारायण ठाकुर महज 8 साल के थे, उनके पिता का ब्रेन ट्यूमर की वजह से निधन हो गया था और उनकी मां अपने तीन बच्चों को छोड़कर कहीं चली गई थी।
द बैटर इंडिया की रिपोर्ट
नारायण ने अपने बारे में ‘द बैटर इंडिया’ को बताते हुए कहा,” जब मुझे दरियागंज के एक अनाथालय में भेजा गया तो मुझे पढ़ाई के साथ-साथ खाना भी मिला।”
“हम गंभीर वित्तीय समस्यायों से जूझ रहे थे, जिसको पूरा करने के लिए मैंने डीटीसी बसों की सफाई की और सड़क के किनारे छोटे टॉल्स पर वेटर के रूप में काम करना पड़ा। मेरे मन में जो खेल प्रेम था,बस उसे आगे बढ़ाने की भावना थी।” ठाकुर ने कहा।
अवसर ने उनके दरवाजे पर दस्तक दी जब एक परिचित ने उन्हें जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में एथलेटिक्स का अभ्यास करने की सलाह दी। और उसने ऐसा किया, अपनी माँ के पान की दुकान पर काम करने के दौरान अपना खून और पसीना बहाया।
एथलीट नारायण ठाकुर की कड़ी मेहनत और लग्न काम आई। वह जकार्ता में खेलों के लिए चुने गए। नारायण ठाकुर एकमात्र ऐसे भारतीय बन गए, जिन्होंने एशियाड या एशियाई पैरा खेलों की 100 मीटर में गोल्ड मैडल जीता।
हम आपकी कड़ी मेहनत और भावना को सलाम करते हैं,नारायण ठाकुर।दिल से सलाम। न्यूज़ और फोटो क्रेडिट:द बैटर इंडिया
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