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पानी की बोतल से भी कम हुई कच्चे तेल के एक बैरल की कीमत

विश्वभर में बढ़ते उत्पादन और घटती मांग की वजह से कच्चे तेल की किमत अंतराष्ट्रीय बाजार में मिनरल वाटर की एक बोतल से भी कम हो गई है।

विश्वभर में बढ़ते उत्पादन और घटती मांग की वजह से कच्चे तेल की किमत अंतराष्ट्रीय बाजार में मिनरल वाटर की एक बोतल से भी कम हो गई है।

दुनिया भर में कोरोना वायरस महामारी के उद्योग धंधे बंद हैं ,जिसका असर कच्चे तेल की कीमत पर पड़ा है। अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के एक बैरल की कीमत घटकर 0.01 डॉलर हो गई है। इसकी के साथ क्रूड आयल की कीमत ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है ,जो 305 फ़ीसदी हो गई है।

कच्चे तेल के एक बैरल की कीमत का स्तर पानी की बोतल से भी कम हो गया है। तेल की कीमतों में गिरावट,कोवीड 19 महामारी के कारण हुए विश्व भर में लॉकडाउन के कारण आई है। लॉकडाउन के चलते सभी उद्योग धंधे,सड़क ,रेल और हवाई यातायात बंद हो गया ,जिसके बाद बाजार में पैट्रोल डीजल की मांग में कमी आई है। जबकि उत्पादन बढ़ता गया।

कच्चे तेल कीमत में गिरावट आने का दूसरा कारण रूस और साऊदी  अरब के बीच कीमतों को लेकर चलते प्राइस वॉर के कारण भी यह गिरावट आई है।

तेल की कीमतों में गिरावट के कारण भारत को इसका फायदा मिल सकता है। क्योंकि भारत 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। जिसके लिए उसे डॉलर में कीमत चुकानी पड़ती है। तेल की कीमतों में आई गिरावट के कारण भारत को अधिक कीमत नहीं चुकानी पड़ेगी। जिसके कारण महंगाई दर में कमी हो सकती है।

क्रूड आयल की कीमतों आई कमी का कारण भारत का चालु घाटा खाता काम होगा। इससे भारत की विकास दर को भी लाभ मिल सकता है।

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