RTI कार्यकर्ता साकेत गोखले ने चुनाव आयोग के बारे में बड़ा खुलासा किया,जानें क्या है मामला
आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने भारतीय चुनाव आयोग पर उत्तरी-पूर्वी दिल्ली के निवासियों के पते और तस्वीरें पुलिस के साथ साझा करने का आरोप लगाया है।
मामला दिल्ली दंगों का है
साकेत गोखले ने ट्विटर थ्रेड के जरिये, सनसनीखेज खुलासा किया है। जिसमें आरोप लगाया गया है कि चुनाव आयोग ने पुलिस के साथ उत्तरी-पूर्वी दिल्ली के निवासियों के पते और तस्वीरें शेयर की हैं।
चुनाव आयोग के एक पत्र को ट्विटर पर साझा करते हुए साकेत गोखले ने गोखले ने कहा कि तस्वीरों वाली पूरी मतदाता सूची को अवैध रूप से दिल्ली पुलिस को सौंप दिया गया था ताकि लोगों की पहचान जाहिर की जा सके।
RTI कार्यकर्ता ने लिखा ,” आदेश की पहली पंक्ति स्वयं स्वीकार करती है कि पुलिस के साथ साझा मतदाता सूची में तस्वीरें शामिल नहीं की जा सकती हैं। ECI ने इन नियमों को तोड़ते हुए दिल्ली दंगों के बाद पुलिस को इन मतदाताओं की पूरी मतदाता सूचि फोटो के साथ पुलिस को सौंप दी। यह उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में रहने वाले अल्पसंख्यकों की पहचान करने का एक आसान तरीका है। ”
ECI का कोई जवाब नहीं
गोखले ने ECI की प्रवक्ता शेफाली शरण को ट्विटर पर टैग करते हुए स्पष्टीकरण देने के लिए पूछा-ऐसा नियमों के खिलाफ क्यों किया गया ? काफी, निर्दोष युवा मुस्लिम लोगों को पुलिस ने मनमाने तरीके उठाया। क्या “चेहरे की पहचान” डेटाबेस के निर्माण के लिए अन्य स्थानों पर भी फोटो के साथ मतदाता सूची साझा की जा रही है ? यह गंभीर विषय है। ” हालांकि अभी तक ईसीआई की तरफ से ट्विटर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
The @SpokespersonECI should clarify – why was this done against rules?
Scores of young Muslim innocent men were picked up by police arbitrarily.
Are voter lists with photos being shared in other places too for building a “facial recognition” database?
THIS IS SERIOUS!
(3/3)
— Saket Gokhale (@SaketGokhale) August 24, 2020
साकेत गोखले द्वारा साझा किए गए ईसीआई के कथित पत्र में एक अवर सचिव स्तर के सिविल सेवक ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को उत्तर-पूर्व दिल्ली के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं की तस्वीरों के साथ दिल्ली पुलिस के साथ मतदाता सूची साझा करने का निर्देश दिया था।
आपको बता दें, फरवरी महीने में दिल्ली में भड़के दंगों में 50 अधिक लोग मारे गए थे। इन दंगों से पहले भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषणों पर पुलिस की उदासीनता की काफी आलोचना हुई थी।