केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देश भर के किसान पिछले 22 दिन से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों की दुर्दशा से आहत संत राम सिंह ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली है।

केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देश भर के किसान पिछले 22 दिन से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों की दुर्दशा से आहत संत राम सिंह ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली है।

कृषि बिल खिलाफ किसान आंदोलन

65 वर्षीय संत बाबा राम सिंह जी नानकसर,करनाल के सिंगड़ा गांव में स्थित गुरुद्वारा साहिब के प्रमुख थे। आत्महत्या करने पूर्व बाबा राम सिंह द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट के अनुसार,वह किसानों के लिए नए कृषि कानूनों को लेकर आहत थे। वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने सरकार के रवैया के प्रति चिंता जताई है।

बाबा राम सिंह का सुसाइड नोट

बाबा राम सिंह ने अपने सुसाइड नोट में लिखा,” मैं किसानों की तकलीफ को महसूस करता हूं, जो अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। मैं उनका दर्द समझता हूं,क्योंकि सरकार उनके साथ न्याय नहीं कर रही है।अन्याय करना पाप है,लेकिन अन्याय सहना भी पाप है। किसानों के समर्थन में कुछ लोगों ने अपने पुरस्कार लौटा दिए।मैंने खुद को ही कुर्बान करने का फैसला किया है।”

पुलिस ने की पुष्टि

हरियाणा पुलिस ने बताया कि 65 वर्षीय बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मार ली है।सोनीपत पुलिस के डीएसपी श्याम लाल पुनिया ने मीडिया को बताया कि उन्हें पार्क अस्पताल में ले जाया गया।जहां,डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।उनके पार्थिव शरीर को करनाल भेज दिया गया है।

राहुल गाँधी ने ट्वीट किया

संत के सुसाइड पर कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया।राहुल गाँधी ने अपने ट्वीट में लिखा,” करनाल के संत बाबा राम सिंह जी ने कुंडली बॉर्डर पर किसानों की दुर्दशा देखकर आत्महत्या कर ली है। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं और श्रद्धांजलि। कई किसान अपने जीवन की आहुति दे चुके हैं।मोदी सरकार की क्रूरता की हद पार कर चुकी है।जिद छोड़ो और तुरंत कृषि विरोधी कानून वापस लो।”

अरविंद केजरीवाल का ट्वीट

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संत के सुसाइड पर ट्वीट करते हुए लिखा,” संत बाबा राम सिंह जी की आत्महत्या की खबर बेहद पीड़ादाई है।इस दुख की घड़ी में उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं।हमारा किसान अपना हक ही तो मांग रहा है।सरकार को किसानों की आवाज सुननी चाहिए और तीनों काले कानूनों को वापस लेना चाहिए।”

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