सुप्रीम कोर्ट ने EVM की जगह बैलट पेपर से मतदान कराने वाली याचिका को खारिज करते हुए हाई कोर्ट जाने को कहा
जनवरी 6, 2021 | by pillar
सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें चुनाव आयोग से EVM की जगह बैलेट पेपर से वोटिंग कराने की अपील की गई थी।
सीजेआई ने ख़ारिज की याचिका
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस ए बोबडे ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से संबंधित याचिका को पहले ही खारिज कर दिया गया है। वहीँ, याचिकाकर्ता ने कहा कि अब स्थिति बदल गई है। लेकिन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि वोट देने का अधिकार एक मौलिक अधिकार नहीं है। और याचिकाकर्ता जनहित याचिका के लिए जरिए इस तरह की राहत नहीं मांग सकता।
हाईकोर्ट जाने के लिए कहा
पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह इसको लेकर हाईकोर्ट जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि ईवीएम में त्रुटि होने का खतरा अधिक है और कई अन्य देशों ने इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगा रखा है। क्योंकि इसकी पारदर्शिता और सटीकता पर गहरा संदेह उठाया गया है।
याचिकाकर्ता की दलीलें
याचिकाकर्ता ने कहा,” लोकतंत्र को बचाने के लिए हमें देश में चुनाव की प्रक्रिया में बेल्ट पेपर प्रणाली को वापस लाना होगा। ईवीएम ने भारत में पुराने बेल्ट पेपर सिस्टम को बदल दिया है। हालांकि इंग्लैंड फ्रांस जर्मनी नीदरलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के उपयोग पर प्रतिबंध लगा रखा है।” यह याचिका वकील सी आर जया सुकिन ने दायर की थी।
वकील ने कहा किसी भी देश की चुनाव प्रक्रिया के लिए मत पत्रों के माध्यम से मतदान करना अधिक विश्वसनीय और पारदर्शी तरीका है। यह माना गया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को इसके निर्माण के दौरान छेड़छाड़ किया जा सकता है और उन्हें वास्तविक मतदान प्रक्रिया में हेरफेर करने के लिए किसी हैकर मॉलवेयर की भी आवश्यकता नहीं है।
याचिकाकर्ता ने यह भी दलील दी है कि दुनिया में कहीं भी कोई मशीन अचूक नहीं है और ईवीएम के कई खतरे ।हैं याचिकाकर्ता ने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि प्रधानमंत्री कार्यालय में कंप्यूटर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के एमके नारायण के निजी कंप्यूटर को हैक कर लिया गया है। फिर यह मान लेना लाजमी नहीं है कि जिलों और दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में स्टोर रूम में बंद ईवीएम सुरक्षित रहेंगी और उपद्रवियों का शिकार नहीं होगी।
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