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बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, तय किए दिशा निर्देश

Bulldozer Action पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कार्यपालिका जज नहीं बन सकती। किसी व्यक्ति को दोषी ठहराकर उसकी संपत्ति को नष्ट नहीं किया जा सकता।

Supreme Court ने Bulldozer Action पर दिए निर्देश

  • एक औसत नागरिक के लिए, घर का निर्माण वर्षों की कड़ी मेहनत, सपनों और आकांक्षाओं की परिणति है। सदन सुरक्षा और भविष्य की सामूहिक आशा का प्रतीक है। इसे हटा दिया गया है, अधिकारियों को संतुष्ट करना होगा कि यह एकमात्र तरीका है।
  • जब एक विशेष संरचना को अचानक विध्वंस के लिए चुना जाता है, और बाकी समान संपत्तियों को नहीं छुआ जाता है, तो अनुमान लगाया जा सकता है, असली मकसद कानूनी संरचना नहीं था, बल्कि बिना परीक्षण के दंड देने की कार्रवाई थी।
  • कोई तोड़फोड़ नहीं की जानी चाहिए। बिना पूर्व कारण बताओ नोटिस के या तो स्थानीय नगरपालिका कानूनों में दिए गए समय के अनुसार या सेवा की तारीख से 15 दिनों के भीतर, जो भी बाद में हो, वापस किया जा सकता है।
  • किसी भी निर्देश का उल्लंघन करने पर अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू की जाएगी। अधिकारियों को सूचित किया जाना चाहिए कि यदि विध्वंस उल्लंघन पाया जाता है, तो उन्हें ध्वस्त संपत्ति की बहाली के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
  • अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। नुकसान के भुगतान के अलावा, उनकी व्यक्तिगत लागत भी देनी होगी।

Supreme Court का बुलडोजर एक्शन पर फैसला

सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने कहा कि दिशानिर्देशों का पालन किए बिना किसी का घर गिराने को कोई कार्रवाई नहीं होगी। इसके साथ संपत्ति के मालिक को 15 दिन पहले नोटिस देना होगा। कोर्ट सख्त लहजे में कहा कि कार्यपालिका आरोपी को दोषी नहीं ठहरा सकती है। आरोपी या  दोषी होने की वजह से किसी का घर गिराना असवैंधानिक है।

इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने कहा कि  सार्वजनिक स्थल अनधिकृत निर्माण के लिए यह निर्देश लागू नहीं होंगे। कहा कि संविधान के तहत दोषियों के भी कुछ अधिकार होते हैं।

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नोटिस देने के 15 दिन के भीतर कोई तोड़फोड़ नहीं होगी। अदालत ने संपत्तियों के ध्वस्तीकरण की वीडियोग्राफी कराने के निर्देश दिए हैं।

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