इंडियन आर्मी में शॉर्ट सर्विस कमीशन पर तैनात महिला अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट ने स्थाई कमीशन में नियुक्त करने का आदेश दिया है। सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आदेश का पालन करो, अर्जी मत डालो।
भारतीय सेना में एसएससी पर तैनात महिला अधिकारियों को सर्वोच्च अदालत ने स्थाई कमीशन में नियुक्त करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा की जिन्हे एसेसमेंट में 60 प्रतिशत नंबर मिले हैं, उन्हें स्थाई कमीशन दिया जाए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 25 मार्च को दिए गए अपने आदेश में किसी भी तरह के बदलाव की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार को हमारे पिछले आदेश के पालन के लिए ग्राउंड लेवल पर काम करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को आदेश में किसी भी तरह के बदलाव के लिए अर्जी दाखिल नहीं करनी चाहिए। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा था कि क्या 60% से ज्यादा अंक हासिल करने वाली जो महिला अफसर अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना कर रही है उन्हें भी पर स्थाई कमीशन दिया जाए? जिस पर अदालत ने कहा कि यह फैसला आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल को करना है कि ऐसी महिला सैन्य अधिकारियों की तैनाती मिलनी चाहिए या नहीं।
सर्वोच्च अदालत ने 25 मार्च को दिए गए अपने आदेश में कहा था कि स्थाई कमीशन में महिलाओं की नियुक्ति को लेकर सेना के पैमाने बेतुके और मनमाने हैं। अदालत ने कमीशन को लेकर महिलाओं के लिए मेडिकल फिटनेस की आवश्यकता को मनमाना और तर्कहीन बताया।
अदालत ने इसके साथ ही यह भी कहा कि हमारे समाज की संरचना पुरुषों द्वारा पुरुषों के लिए बनाई गई है । अदालत की इस टिप्पणी को बड़े बदलाव के तौर पर देखा गया था। सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि सेना की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट यानी एसीआर मूल्यांकन को देर से लागू होने पर चिकित्सा फिटनेस मॉडल महिला अधिकारियों के खिलाफ काफी भेदभाव करता है।
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