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ऐसे पैदा हुआ खतरनाक Coronavirus, जानें पूरी दास्तान

आज दुनिया भर में कोरोना वायरस का कहर जारी है। 112 देशों में इस वायरस की वजह से 6000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस के पूरे विश्व में डेढ़ लाख से भी अधिक केस है।

आज दुनिया भर में कोरोना वायरस का कहर जारी है। 112 देशों में इस वायरस की वजह से 6000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस के पूरे विश्व में डेढ़ लाख से भी अधिक केस है।

भारत में कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है।

पिछले 2 महीने से कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। चीन के बाद इटली, ईरान, इंग्लैंड से लेकर अमेरिका तक इसका कहर जारी है।

वहीं भारत की बात करें तो कोरोना के अभी तक कोरोना वायरस के 148 मामले सामने आ चुके हैं और 3 की मौत हो चुकी है। चीन में जन्मे इस वायरस का जिस तरह से अभी तक कोई इलाज नहीं है ,उसी तरह इस वायरस के रहस्य को भी सुलझाया नहीं जा पाया है। अब यह जानना बेहद जरूरी है कि कोरोना कब, कैसे, क्यों और कहां से आया ?

चीन की वुहान लैब में इबोला, सारस, निपाह और दूसरे घातक वायरसों पर शोध कर रहे वैज्ञानिक अपने माइक्रोस्कोप में एक अजीब सा वायरस देखते हैं। मेडिकल हिस्ट्री में ऐसा वायरस पहले कभी नहीं देखा गया था। इसके अनुवांशिकी गुणों को ग़ौर से देखने पर पता चला कि यह चमगादड़ के क़रीबी हो सकता हैं।

इस अजीब वायरस को देखकर वैज्ञानिक हैरान थे क्योंकि इस वायरस में भी सारस वायरस के साथ समानता को देख पा रहे थे। जिसने चीन में महामारी ला दी थी और दुनिया भर में 700 से ज्यादा लोग मारे गए थे। उस समय भी यह बताया गया था कि छूने और संक्रमित व्यक्ति के खांसने से फैलता है ,लेकिन तब चीन इस वायरस को छुपा गया था।

दिसंबर 2019 के शुरुआती हफ्तों में वुहान की सी फूड मार्केट के आसपास रहने वाले कई लोग बुखार से पीड़ित होने शुरू हो गए। इनके टेस्ट के लिए सैंपल लैब में भेजे गए। सैंपल वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी नेशनल बायोसेफ्टी लैब के पास पहुंचे। यहां के वैज्ञानिकों के माइक्रोस्कोप में जो उन्हें दिखाई दे रहा था। वह आने वाले समय में जानलेवा ग्लोबल खतरे का एक संकेत था। मगर चीनी अधिकारियों ने डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के बदनामी और अफ़रा-तफरी के माहौल से बचने के लिए खामोश करा दिया।

चीन के डॉक्टर ली वेनलियांग की लैब में करीब 7 मरीज़ पहुंचे। यह वही डॉक्टर ली वेनलियांग थे जिन्होंने दुनिया को पहली बार इस जानलेवा वायरस के बारे में आगाह किया था। डॉक्टर ली को इन मरीज़ों के लक्षण देख कर ही समझ में आ चुका था कि यह सभी के सभी किसी अंजान घातक वायरस के शिकार हो गए हैं।

उन्होंने तुरंत इस बीमारी के बारे में दूसरे डॉक्टरों को अलर्ट जारी किया और इस वायरस के बारे में अपनी रिपोर्ट दी। उन्होंने भी वी चैट एप पर अपने मेडिकल कॉलेज के एलुमनी ग्रुप में भी जानकारी दी और सब को अपने जानकारों, दोस्तों रिश्तेदारों को इस बारे में आगाह करने के लिए कहा लेकिन कुछ ही घंटों में उनके इस मैसेज का स्क्रीनशॉट वायरल हो गया।

ऐसे बढ़ती गई संख्या

इसके बाद चीन में 7 से 14 और 14 से 21, 21 से 42 इस तरह मरीज़ों की तादाद बढ़ती चली गई और हजारों तक पहुंच गई लेकिन चीन इस बीमारी को रोकथाम करने की बजाय दुनिया से इसको छुपाने में ही लग रहा।

क्या चमगादड़ थे कारण

चीन इस जानलेवा बीमारी की खबर को दुनिया को सामने नहीं आने दिया मगर अंदर ही अंदर वुहान के इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी नेशनल बायोसेफ्टी लैब में इसकी जांच चलने लगी। वैसे भी इस लैब में पिछले कई सालों से चमगादड़ों से फैलने वाली बीमारी पर रिसर्च चल रही थी। यह रिसर्च इसलिए भी की जारी थी क्योंकि ना सिर्फ वुहान और उसके आसपास वाले इलाकों में चमगादड़ की संख्या ज्यादा है। बल्कि वहां चमगादड़ और दूसरे तमाम जानवरों का मांस खाने और और सुप पीने का चलन भी खूब जोरों पर था।

अब तक की जांच में यह तो साफ हो गया था कि हो ना हो कोरोना वायरस इन्हीं चमगादड़ों से फैला हो। चाइनीस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन की स्टडी के डाटा भी इसी तरफ इशारा कर रहे थे।

सबसे पहले डॉक्टर ली ने किया था आगाह

डॉक्टर ली इस बीच लगातार अपने डॉक्टर साथियों और लोगों को इस जानलेवा वायरस से ना सिर्फ आगाह कर रहे थे बल्कि पीड़ितों को आइसोलेशन वार्ड में रखकर अपने तरीके से इलाज भी कर रहे थे। इसके बाद यह ख़बरें चीन से निकल कर दुनिया तक पहुंचने लगी और चीन भी यह मान चुका था कि उसको कोरोना नाम की एक महामारी ने जकड़ लिया है।

दूसरी तरफ चीनी सरकार ने 34 साल के डॉक्टर ली के वायरल हो चुके कोरोनावायरस से आगाह करने वाले संदेश का संज्ञान लेते हुए नोटिस भेजकर जवाब मांगा। डॉक्टर ली की परेशानियां यहीं खत्म नहीं हुई इसके फौरन बाद उन पर अफ़वाह फैलाने का आरोप लगा दिया गया और उन्हें लिखित में ना सिर्फ माफ़ी मांगनी पड़ बल्कि इस वायरस की वजह से उनको अपनी जान भी गँवानी पड़ी।

क्या कोरोना की वजह से गई थी डॉक्टर ली की जान

डॉक्टर ली बारे में अचानक खबर आई थी कोरोना वायरस के बारे में सबसे पहले जानकारी देने वाले डॉक्टर ली की मौत हो गई है। बताया गया कि डॉक्टर ली 12 जनवरी से अस्पताल में भर्ती थे और 30 जनवरी को पता चला कि वह कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं।

चीनी सरकार ने अपने बयान में कहा कि उन्हें बचाने की कोशिश की लेकिन बचाया नहीं जा सका। अस्पताल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि डॉ ली की मौत 7 फरवरी की रात करीब 2:58 पर हुई। रिपोर्ट में बताया गया कि उन्हें खांसी बुखार था।

रहस्य अब भी बरकरार है

डॉक्टर ली वेनलियांग जिन्होंने दुनिया को सबसे पहले कोरोना वायरस के बारे में जानकारी दी उनकी मौत हो गई। यह मौत कोरोनावायरस से हुई या फिर चीन की सरकार ने उन्हें यह राज दुनिया के सामने फाश करने की सजा दी यह फिलहाल सवाल ही है। दूसरा सवाल ये भी है कि कोरोनावायरस चीन की लैब से फैला है या फिर चमगादड़ से ?

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