Himachal Pradesh Assembly News: हिमाचल प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने दल बदल विरोधी कानून के तहत कांग्रेस के 6 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है। विधायक चैतन्य शर्मा, सुधीर शर्मा,लखनपाल, राजेंद्र राणा,देवेंद्र बुट्टो और रवि ठाकुर की विधान सभा सदस्य्ता तुरंत प्रभाव से रद्द का दी गई है।
हिमाचल में ऑपरेशन लोटस फेल
ऑपरेशन लोटस के राडार की नजर पड़ी हुई हिमाचल प्रदेश कांग्रेस सरकार फ़िलहाल सेफ बताई जा रही है। हालांकि, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की कुर्सी हिलती हुई नजर आ रही है। हाल ही में राज्यसभा चुनाव के समय कांग्रेस पार्टी के छह विधायकों के बागी होने के चलते सुक्खू सरकार संकट में आ गई थी।
हिमाचल राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग
राज्यसभा चुनाव में विपक्ष यानि बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कांग्रेस पार्टी के अभिषेक मनु सिंघवी को शिकस्त दी है। राज्यसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सरकार अल्पमत में है। उन्होंने कहा कि सुक्खू सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है।
कांग्रेस के 6 विधायकों की सदस्यता रद्द
#WATCH शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने बताया, "दलबदल विरोधी कानून के तहत 6 विधायकों के खिलाफ मुझे याचिका मिली थी…6 विधायक जिन्होंने चुनाव कांग्रेस से लड़ा और दलबदल विरोधी कानून के तहत उनके खिलाफ याचिका मिली…मैंने अपने 30 पेज के आदेश में काफी… pic.twitter.com/0eWaCn0Eqs
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 29, 2024
हिमाचल प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कांग्रेस के 6 बागी विधायकों पर अपना फैसला सुनाया है। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने बताया,” दलबदल विरोधी कानून के तहत मुझे 6 विधायकों के खिलाफ याचिका मिली थी। छह विधायक जिन्होंने चुनाव कांग्रेस से लड़ा और दल बदल विरोधी कानून के तहत उनके खिलाफ याचिका मिली। मैंने अपने 30 पन्ने आदेश में काफी विस्तार से इसकी जानकारी दी है। मैंने उन छह विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है। अब वे हिमाचल प्रदेश विधान सभा के सदस्य नहीं हैं। ”
स्पीकर ने कहा,” आया राम गया राम की राजनीती नहीं होनी चाहिए। राज्यसभा चुनाव का व्हिप इस फैसले का हिस्सा नहीं है। ये फैसला बजट सत्र के व्हिप के आधार पर लिया गया। राज्यसभा चुनाव के व्हिप के अनुसार, क्रॉस वोटिंग नहीं होनी चाहिए थी। लेकिन हुई। वो व्हिप मेरे फैसले का हिस्सा नहीं है। इस पर सुप्रीम कोर्ट फैसला ले सकता है।