इंडियन एयरफोर्स करने वाली है दुनिया के सबसे खतरनाक हथियार ब्रह्मोस 2 का टेस्ट, जानिए इस से जुड़ी सभी बातें
अप्रैल 12, 2021 | by pillar
अमेरिकी सेना की सर्च सबसे खतरनाक मिसाइल टॉमहॉक से 4 गुना तेज ब्रह्मोस 2 का भारतीय वायुसेना टेस्ट करने वाली है। आईएएफ ने इस बारे में अलर्ट जारी किया है।
पहले भी हो चुके हैं ब्रह्मोस के टेस्ट
Yoब्रह्मोस को पहली बार 12 जून 2001 में इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से लांच किया गया। 12 जून 2004 को इस मिसाइल को एक मोबाइल लांचर के जरिए लांच किया गया। ब्रह्मोस इंडियन एयर फोर्स के फाइटर जेट सुखोई में भी फिट हो गई है। इसके साथ ही इंडियन एयर फोर्स और ज्यादा खतरनाक हो गई है।
जल थल नभ से कर सकते हैं लांच
ब्रह्मोस दुनिया की ऐसी इकलौती मिसाइल है जिसे जमीन हवा पानी तीनों जगहों से लांच किया जा सकता है। ब्रह्मोस 2 को इस समय भारत के सबसे खतरनाक हथियारों में से एक माना जा रहा है। 98000 किलोमीटर प्रति घंटे की पेड़ से हमला करने वाली यह मिसाइल 1000 किलोमीटर की दूरी पर बैठे हुए दुश्मन को कुछ ही सेकंड में नेस्तनाबूद कर सकती है।
मिसाइल ब्रह्मोस को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह किसी भी पनडुब्बी फाइटर जेट वॉरशिप या मोबाइल लांचर की मदद से आसानी से लांच की जा सके। ब्रह्मोस 2 स्पीड के मामले में अमेरिकी सेना की मिसाइल टॉमहॉक से 4 गुना तेज है।
इंडियन एयरफोर्स 14 और 16 अप्रैल को करेगी टेस्ट
इस मिसाइल का टेस्ट इंडियन एयरफोर्स 14 और 16 अप्रैल को अंडमान में करने वाली है। हिंद महासागर क्षेत्र में होने वाले इस परीक्षण को काफी अहम माना जा रहा है। इस बारे में नोटिस टू एयर मैन भी जारी कर दिया गया है। इस नोटिस के तहत जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है वह तो है मोर्स कोड की तरह होती है। जिसमें खास शब्दावली का इस्तेमाल किया जाता है। ताकि संचार को और प्रभावी बनाया जा सके।
ब्रह्मोस 2 के नए वर्जन पर भारत और रूस अब काम कर रहे हैं। यह एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। नई ब्रह्मोस मिसाइल दुश्मन के देश के एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम यानि अवॉक्स के एयरक्राफ्ट भी ढेर कर सकती है। अवॉक्स सिस्टम को उसके साइज और वजन के हिसाब से भारी और मध्यम रेंज के एयरक्राफ्ट में फिट किया जाता है। यह सिस्टम दरअसल सर्विलांस के लिए काम आता है। इसकी मदद से एयरक्राफ्ट के अंदर बैठे ऑपरेटर एक निश्चित दूरी तक फाइटर जेट और मिसाइलों पर नजर रखते हैं।
ब्रह्मोस मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर तैयार किया है ब्रह्मोस नाम दोनों देशों की नदियों पर आधारित है भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मुस्तफा से मिलकर यह नाम बना है यह मिसाइल उसकी पी ए हंड्रेड ऑफिस क्रूज मिसाइल की टेक्नोलॉजी और जगह दर्ज की गई है
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