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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जापान से अस्थियां लाने से खुफिया विभाग ने पीएम नरसिम्हा राव सरकार रोका था

अक्टूबर 23, 2021 | by

The intelligence department had stopped the PM Narasimha Rao government from bringing the ashes of Netaji Subhash Chandra Bose from Japan.

आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पड़पोते का दावा है कि तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अस्थियां वापस लाना चाहती थी। खुफिया विभाग की चेतावनी के बाद नेताजी की राख को भारत नहीं लाया जा सकता।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पड़पोते के अनुसार वर्ष 1990 में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सुभाष चंद्र बोस की अस्थियां भारत लाना चाहती थी। जिसके बारे में कहा जा रहा था कि यह राख नेताजी सुभाष चंद्र बोस की है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अस्थियां जापान के मंदिर रेंकोजी में रखी गई थी। लेकिन खुफिया विभाग की रिपोर्ट के बाद उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिए। खुफिया विभाग ने उस समय चेतावनी दी थी कि नेताजी की अस्थियां भारत लाने से विवाद हो सकता है और उसकी वजह से दंगे भी हो सकते हैं।

शोधकर्ता आशीष राय का दावा

जापान के टोक्यो स्थित एक बौद्ध मंदिर में सितंबर 1945 में नेताजी की सुभाष चंद्र बोस की अस्थियों को रखा गया था।  जिसको लेकर लेखक और शोधकर्ता आशीष राय ने कहा था कि नेताजी की अस्थियों का कानूनी अधिकार उनकी बेटी प्रोफेसर अनीता घोष के पास होना चाहिए। अनिता बोस जर्मनी में रहती है और भारत सरकार को उन्हें अधिकार लेने के लिए अनुमति देनी चाहिए।

आजाद हिंद फौज की 78 वर्षगांठ

नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा बनाई बनाई गई आजाद हिंद फौज की 78 वर्षगांठ के अवसर पर एक आभासी सेमिनार को संबोधित करते हुए आशीष राय ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस पर उन्होंने अध्ययन किए और किताबें भी लिखी है। उनकी लिखी गई किताब ‘लेड टू रेस्ट’ में दावा किया गया है कि उस समय नरसिम्हा राव ने एक हाई लेवल की कमेटी बनाई थी। इस कमेटी में प्रणव मुखर्जी को भी शामिल किया गया था। इस कमेटी को नेताजी की सुभाष चंद्र बोस जी की अस्थियों को भारत लाने की जिम्मेदारी दी गई थी।

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राय ने कहा,” उस समय खुफिया विभाग ने अपनी एक रिपोर्ट जारी कर चेतावनी दी थी कि इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल के कोलकाता में दंगे भड़क सकते हैं। हालांकि देश में कई लोग यह भी मानते हैं कि 18 अगस्त 1945 को हुए विमान हादसे में नेताजी की मौत नहीं हुई थी। नेताजी को लेकर कई तरह की थ्यूरी है। कुछ लोगों का मानना है कि वह सोवियत संघ की जेल में रहे तो कई लोगों का मानना है कि वह साधु बन गए थे।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के एक रिश्तेदार सुगाता बोस ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि नेताजी की मौत को लेकर अलग-अलग तरीका बंद होनी चाहिए। उनके अवशेष एक राष्ट्रीय मुद्दा है और यह पारंपरिक नहीं है।

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