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नेत्रहीन महिला ज्योत्सना ने पीएचडी कर बनाया रिकॉर्ड

सबसे कम उम्र में PHD करने वाली बनी Jyothsna phanija

Jyothsna phanija को इंटरव्यू के दौरान कई बार अपमानित किया गया। उनसे पूछा जाता था कि आप पढ़ा कैसे पाएंगी? हाजिरी कैसे लेंगी? लोगों के इस तरह के सवालों से भी ज्योत्सना का हौसला कमजोर नहीं हुआ।

दिव्यांग लोगों को सामान्य लोगों की तुलना में अपनी दैनिक जिंदगी में ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। फिर भी ऐसी स्थिति में कुछ लोग कुछ ऐसा साबित कर देते हैं ,जो पूर्ण रूप से स्वस्थ लोग भी नहीं कर पाते।

Jyothsna phanija एक दृष्टि बाधित महिला है जो हैदराबाद की रहने वाली है। उन्होंने 25 उम्र में ही पीएचडी कर ली है। ऐसा करके ज्योत्सना ने एक रिकॉर्ड बनाया है। उनके नाम किसी भी भारतीय यूनिवर्सिटी से अंगरेजी में सबसे कम उम्र में पीएचडी करने का रिकॉर्ड बन गया है। ज्योत्सना ने अंग्रेजी साहित्य में पीएचडी की है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार ज्योत्सना बचपन से ही पूरी तरह देख नहीं सकती है। इसके बाद भी उन्होंने इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्विज यूनिवर्सिटी से पीएचडी की है। आपको बता दें ,ज्योत्सना ने अपनी दसवीं तक की पढ़ाई ब्लाइंड स्कूल से की है।

Jyothsna phanija को कॉलेज के प्रिंसिपल ने ऐड्मिशन तक देने से मना कर दिया था। लेकिन बाद में ज्योत्सना ने दिखा दिया कि दिव्यांग क्या-क्या कर सकते हैं। ज्योत्सना सफलता की सीढ़ी चढ़ती चली गई।

साल 2011 में ज्योत्सना नेट की परीक्षा पास की थी। ज्योत्सना ने किताबों और पत्रिकाओं में 10 आर्टिकल लिखे। सेमिनारों में 6 रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए। इसके बावजूद भी ज्योत्सना को कई बार इंटरव्यू के दौरान अपमानित किया गया। अक्सर उनसे पूछा जाता था कि आप कैसे पढ़ा पाएंगी ? अटेंडेंस कैसे लेंगी ?

आखिरकार ज्योत्सना को दिल्ली यूनिवर्सिटी के एचआरडी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति मिल गई है। फ़िलहाल ज्योत्सना ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के छात्रों को अंग्रेजी पढ़ा रही हैं।

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