Site icon 4PILLAR.NEWS

Ahoi Ashtami: अहोई अष्टमी, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्व

Ahoi Ashtami: अहोई अष्टमी, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा

Ahoi Ashtami 2025 : अहोई अष्टमी हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस पर्व पर माताएं अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। यह कार्तिक मास की अष्टमी को पड़ता है।

Ahoi Ashtami का महत्व

अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो मुख्य रूप से माताओं द्वारा अपनी संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए मनाया जाता है। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है, जो करवा चौथ के चार दिन बाद आती है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और अहोई माता की पूजा करती हैं।

अहोई माता को संतान की रक्षक के रूप में पूजा जाता है और यह व्रत मातृभक्ति का प्रतीक है। मान्यता है कि इस व्रत से पिछले जन्म के पापों का प्रायश्चित होता है और माता अहोई संतान को आशीर्वाद देती हैं। यह त्योहार विशेष रूप से उत्तर भारत में लोकप्रिय है, जहां माताएं अपने पुत्रों  की भलाई के लिए यह उपवास रखती हैं। व्रत कथा का पाठ करना अनिवार्य माना जाता है, क्योंकि इसके बिना व्रत अधूरा रहता है। इस व्रत से संतान के उज्ज्वल भविष्य, दीर्घायु और सुरक्षा की कामना पूरी होती है।

Ahoi Ashtami 2025 की तिथि

2025 में Ahoi Ashtami 13 अक्टूबर को मनाई जा रही है। अष्टमी तिथि 13 अक्टूबर को दोपहर 12:24 बजे से शुरू होकर 14 अक्टूबर को सुबह 11:09 बजे तक रहेगी।

Ahoi Ashtami Shubh Muhurat

Ahoi Ashtami पूजा मुहूर्त: शाम 5:53 बजे से शाम 7:08 बजे तक (अवधि: 1 घंटा 15 मिनट)।
तारों को अर्घ्य देने का समय: शाम 6:17 बजे तक। तारों को अर्घ्य देने का समय: शाम 6:17 बजे तक। यह मुहूर्त पूजा और व्रत पारण के लिए महत्वपूर्ण है। तारों के दर्शन के बाद ही व्रत खोला जाता है।

अहोई अष्टमी की पूजा विधि (Ahoi Ashtami Worship)

अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) की पूजा संध्या काल में की जाती है। निम्नलिखित विधि से पूजा करें:

अहोई व्रत विधि (Ahoi Ashtami Vart)
  1. सुबह उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
  2. पूरे दिन अहोई माता का ध्यान करें।
  3. शाम को पूजा के बाद तारों के दर्शन करें और अर्घ्य दें।
  4. उसके बाद ही व्रत खोलें। यदि चंद्रमा दिखाई दे तो उसे भी अर्घ्य दे सकते हैं, लेकिन मुख्य रूप से तारे महत्वपूर्ण हैं।
    व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्यास्त के बाद तारों को देखकर पारण करती हैं।
अहोई व्रत कथा ( Ahoi Ashtami Story)

एक नगर में एक साहूकार रहता था, जिसके सात बेटे और सात बहुएं थी। एक बार दीवाली से पहले घर की लिपाई-पुताई के लिए सातों बहुएं और एक ननद उनके साथ खेत में मिट्टी लाने गईं। अनजाने में साहूकार की बेटी की कुदाल से एक ‘सेही’ (झांऊमूसा) के 7 बच्चों की मौत हो गई। इस पर स्याहू ने क्रोधित होकर उसे यह श्राप दिया कि मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी। तब साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से यह बिनती की कि उनमें से कोई उसके बदले अपनी कोख बंधवा लें। सभी ने मना कर दिया, लेकिन सबसे छोटी भाभी, कोख बंधवाने के लिए तैयार हो गई।

जब साहूकार की सबसे छोटी बहु को कोई भी संतान होती, तो वह सातवें दिन मर जाती। सात पुत्रों की इसी प्रकार मृत्यु हो गई। तब साहुकार ने एक पंडित को इस घटना के बारे में बताया। तब पंडित ने छोटी बहू को सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी। सुरही गाय छोटी बहु की सेवा से प्रसन्न हो जाती है और उसे स्याहु के पास ले जाती है। रास्ते में थककर वह दोनों आराम करने लगते हैं। तभी साहुकार की बहू की नजर एक सांप पर पड़ती है, जो एक गरुड़ के बच्चे को डसने जा रहा होता है। यह देखकर छोटी बहू वह सांप को मार देती है।

इतने में गरूड़ वहां आता है और बिखरा हुआ खून देखकर सोचता है कि छोटी बहु ने उसके बच्चे के मार दिया। इस वजह से वह छोटी बहू को चोंच मारना शुरू कर देता है। तब छोटी बहू उसे बताती है कि उसने ही गरुड़ के बच्चे की जान बचाई है। गरूड़ यह सुनकर खुश होती है और सुरही गाय समेत उन्हें स्याहु के पास पहुंचा देती है। तब स्याहु छोटी बहू की सेवा से प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहू होने का आशीर्वाद देती है। स्याहु के आशीर्वाद से छोटी बहू का घर पुत्र और पुत्र वधुओं से हरा-भरा हो जाता है।

अहोई माता की आरती ( Ahoi Ashtami Aarti )

जय अहोई माता, जय अहोई माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
जय अहोई माता, जय अहोई माता।

तुम बिन सुख नाहीं कोई, तुम बिन सुख नाहीं।
भक्तन को सुख देती, दुःखन को हरती॥
जय अहोई माता, जय अहोई माता।

जो कोई तुझे ध्यावे, मन वांछित फल पावे।
तू सबकी भव बाधा हरती, जन की लाज रखती॥
जय अहोई माता, जय अहोई माता।

तेरे चरणों में ध्यान लगावे, सुख-सम्पत्ति घर पावे।
जो कोई शरण में आये, दुख-दरिद्र मिट जाये॥
जय अहोई माता, जय अहोई माता।

तू ही जननी तू ही दाता, जग की पालनहारी।
तेरी महिमा अपार हे माता, तू जग की रखवाली॥

महत्वपूर्ण बातें

अहोई अष्टमी उपाय: निर्जला व्रत रखें और तारों को अर्घ्य दें। इससे संतान की सुरक्षा सुनिश्चित होती है। यदि संभव हो तो दान करें, जैसे गरीब बच्चों को भोजन या वस्त्र।

अहोई माता कौन हैं ? (Who Is Ahoi Mata )

Ahoi Ashtami: अहोई माता को संतान की देवी माना जाता है। कथा में ‘स्याहु’ उनके रूप का प्रतिनिधित्व करती है, जो श्राप और आशीर्वाद दोनों दे सकती हैं।

Exit mobile version