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Pegasus के जरिए दो भारतीय पत्रकारों के फोन को किया गया टारगेट, एमनेस्टी इंटरनेशनल का दावा

दिसम्बर 29, 2023 | by

Amnesty International claims, phones of two Indian journalists were targeted through Pegasus

वाशिंगटन पोस्ट के साथ साझेदारी में Amnesty International ने भारत के दो प्रमुख पत्रकारों को इजराइल के एनएसओ  ग्रुप के Pegasus स्पाईवेयर के द्वारा निशाना बनाए जाने का दावा किया है। इनमें से एक पत्रकार पहले भी स्पाईवेयर हमले का शिकार हुआ था।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए दो भारतीय पत्रकारों की जासूसी को लेकर बड़ा खुलासा किया है। वाशिंगटन पोस्ट के साथ पार्टनरशिप में एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब की तरफ से फोरेंसिक जांच के बाद यह दावा किया गया है। बता दें, पेगासस एक जासूसी सॉफ्टवेयर है जिसे इजराइल की सर्विलांस फर्म NSO ने तैयार किया है। एनएसओ ग्रुप का कहना है कि वो इस स्पाईवेयर की डील केवल सरकारों के साथ करता है और गहन जांच-पड़ताल के बाद सौदा तय किया जाता है। इस सॉफ्टवेयर को सैन्य सिक्योरिटी के लिए डिजाइन किया गया है। इसके जरिए आतंकवादी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है।

जानिए दुनिया के सबसे खतरनाक जासूसी सॉफ्टवेयर Pegasus की पूरी कहानी

लैब प्रमुख का ब्यान

एमनेस्टी की सुरक्षा लैब के प्रमुख, डोनाचा ओ सेरभाईल ने कहा कि भारत में पत्रकारों को गैरकानूनी निगरानी, ​​कठोर कानूनों के तहत कारावास, बदनामी अभियान, उत्पीड़न और धमकी का सामना करना पड़ता है।

Amnesty International ने जिन दो भारतीय पत्रकारों के फोन को फोरेंसिक लैब में जांचने के बाद दावा किया है, उनमें से एक द वायर के संस्थापक और संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और दूसरे ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्ट प्रोजेक्ट ( OCCRP ) के साउथ एशिया एडिटर आनंद मंगनाले हैं। इन दोनों के फोन पर अक्टूबर महीने में एप्पल का अलर्ट आया था। इन दोनों पत्रकारों के अलावा एप्पल ने विपक्ष के कई नेताओं के आईफोन पर भी स्पाईवेयर का नोटिफिकेशन भेजा था। एप्पल का नोटिफिकेशन मिलने के बाद इन दोनों पत्रकारों ने अपने डिवाइस एमनेस्टी इंटरनेशनल को जांच के लिए सौंप दिए थे। रिपोर्ट के अनुसार, दोनों के फोन में पेगासस सॉफ्टवेयर की पुष्टि हुई है।

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महुआ मोइत्रा, राघव चड्डा को भी मिले थे नोटिफिकेशन

तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा, आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा और कांग्रेस पार्टी के नेता शशि थरूर को अक्टूबर महीने में एप्पल की तरफ से खतरे वाला नोटिफिकेशन मिला था। एप्पल के नोटिफिकेशन में कहा गया था कि प्रायोजित स्पाईवेयर के जरिए उनके फोन पर हमले की आशंका है। फोन पर खतरे का नोटिफिकेशन मिलने के बाद इन नेताओं ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए स्पाईवेयर अटैक का आरोप लगाया था। हालांकि, केंद्र सरकार ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया था। इंडियन कंप्यूटर एमर्जेंसी रेस्पोंस टीम ने इस नोटिफिकेशन की जांच शुरू की थी।

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