ASI मोती राम जाट जासूसी कांड: विस्तृत जानकारी
ASI Moti Ram Jat: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में सहायक एएसआई के पद पर कार्यरत जवान मोती राम जाट को NIA ने जासूसी के गंभीर आरोप में दिल्ली से गिरफ्तार किया है।
यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। जिसमें उस पर 2023 से पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों (PIO ) को गोपनीय जानकारी साझा करने का आरोप है।
कौन है ASI Moti Ram Jat ?
मोती राम जाट सीआरपीएफ की 116वीं बटालियन में तैनात था। वह जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में तैनात था। गिरफ्तारी से पहले 22 अप्रैल 2025 को आतंकी हमले से छह दिन पहले जाट का दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया था।
पहलगाम आतंकी हमले में 26 नागरिक मारे गए थे। जिनमें ज़्यादातर हिंदू पर्यटक थे। हालांकि, एनआईए ने अभी तक हमले में जाट की सीधी भूमिका की पुष्टि नहीं की है।
ऐसे गिरफ्त में आया पाकिस्तानी जासूस मोती राम
मोती राम की संदिग्ध गतिविधियां सीआरपीएफ और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जवानों की सोशल मीडिया गतिविधियों की नियमित निगरानी के दौरान सामने आईं। उसकी सोशल मीडिया गतिविधियों को “स्थापित मानदंडों और प्रोटोकॉल का उल्लंघन” पाए जाने के बाद प्रारंभिक जांच शुरू की गई थी।
मोती राम ने हनी ट्रैप में फंसकर की देश से गद्दारी
जांच से पता चला कि मोती राम को पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों ने अपने जाल में फंसा लिया था। पाकिस्तानी एजेंट ने महिला बनकर सोशल मीडिया पर उससे संपर्क किया था। इसके बाद उससे काफिले की आवाजाही और सैन्य ठिकानों का विवरण जैसी संवेदनशील जानकारी हासिल की गई।
एनआईए ने मोती राम को किया गिरफ़्तार
एनआईए के अनुसार, मोती राम जाट 2023 से ही पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी गोपनीय जानकारी, जैसे भारतीय सुरक्षा बलों की ऑपरेशनल योजनाएं, काफिले की आवाजाही और प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठानों के स्थान आदि साझा कर रहा था।
एबीपी न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, जांच में पता चला कि जाट को पाकिस्तानी अधिकारियों से विभिन्न माध्यमों से पैसे मिल रहे थे। एक सरकारी अधिकारी के अनुसार, उसके बैंक खाते में हर महीने विदेशी खाते से रुपये जमा हो रहे थे। जिससे शक और गहरा गया।
मोती राम को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया। पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष न्यायाधीश चंद्रजीत सिंह ने उसे 6 जून 2025 तक एनआईए की हिरासत में भेज दिया।
एनआईए इस बात की गहन जांच कर रही है कि उसने कितनी और किस तरह की जानकारी साझा की थी। उसके पाकिस्तानी संपर्क कौन थे ? बदले में उसे क्या मिला और क्या भारत में अन्य लोग भी इस जासूसी नेटवर्क में शामिल थे?
सीआरपीएफ ने किया बर्खास्त
सीआरपीएफ ने मोती राम जाट को 21 मई, 2025 से सेवा से बर्खास्त कर दिया। यह कार्रवाई भारत के संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) और सीआरपीएफ नियमों के तहत की गई। जो “राज्य की सुरक्षा के हित” में बिना जांच के किसी कर्मचारी को बर्खास्त करने की अनुमति देता है।
मोती राम की गिरफ़्तारी भारत में जासूसी विरोधी व्यापक अभियान का हिस्सा है। पिछले दो हफ़्तों में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से 13 अन्य लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। जिनमें ज्योति मल्होत्रा (एक यूट्यूबर) और गजाला शामिल हैं।
मास्टरमाइंड ज्योति मल्होत्रा
हरियाणा से ज्योति मल्होत्रा नाम की एक ट्रैवल ब्लॉगर को गिरफ्तार किया गया है। वह पाकिस्तानी अधिकारी एहसान-उर-रहीम (उर्फ दानिश) के संपर्क में थी। जिसे 13 मई 2025 को भारत से निष्कासित कर दिया गया था। ज्योति ने कथित तौर पर दो बार पाकिस्तान की यात्रा की और वहां खुफिया अधिकारियों से मुलाकात की।
ऑपरेशन सिंदूर
यह मामला भारत के प्रमुख आतंकवाद-रोधी अभियान, ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रकाश में आया। ऑपरेशन सिंदूर 7 मई, 2025 को शुरू हुआ था। जिसमें भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (POK ) में नौ आतंकी बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया।
फिलहाल, मोती राम जाट से एनआईए की पूछताछ जारी। जासूसी नेटवर्क की गहराई, अन्य संभावित सहयोगियों और साझा की गई जानकारी की प्रकृति की जांच की जा रही है।
सुरक्षा एजेंसियां ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आंतरिक निगरानी। खुफिया जानकारी साझा करने और साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल को और मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।