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10 दिन में ही पुलवामा दोहराना चाहते थे आतंकी, पूर्व सैन्य अधिकारी केजेएस ढिल्लों ने किया खुलासा

Kitne Ghazi Aaye Kitne Ghazi Gaye Book on Pulwama attack: 14 फरवरी 2019 के दस दिन बाद आतंकी फिर से पुलवामा हमला दोहराना चाहते थे। इस बात की जिक्र भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी केजेएस ढिल्लों ने अपनी किताब 'कितने गाज़ी आये, कितने गाज़ी गए में किया है। लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने राजस्थान पुलिस अकादमी समारोह के दौरान अपनी पुस्तक का विमोचन किया जिसमें पुलवामा अटैक को दोहराये जाने की बात कही है।

Kitne Ghazi Aaye Kitne Ghazi Gaye Book on Pulwama attack: 14 फरवरी 2019 के दस दिन बाद आतंकी फिर से पुलवामा हमला दोहराना चाहते थे। इस बात की जिक्र भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी केजेएस ढिल्लों ने अपनी किताब ‘कितने गाज़ी आये, कितने गाज़ी गए में किया है। लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने राजस्थान पुलिस अकादमी समारोह के दौरान अपनी पुस्तक का विमोचन किया जिसमें पुलवामा अटैक को दोहराये जाने की बात कही है।

14 फरवरी 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों ने सीआरपीएफ के काफीले पर आत्मघाती हमला कर विस्फोट किया था। जिसमे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के 10 दिन के भीतर ही आतंकी दोबारा ऐसा हमला करना चाहते थे। लेकिन भारतीय सुरक्षा बलों ने दो पाकिस्तानी सहित तीन आतंकियों को ढेर कर इस हमले को नाकाम कर दिया था।

लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों

इस बात का खुलासा पूर्व चिनार कोर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने अपनी किताब ‘कितने गाज़ी आये, कितने गाज़ी गए’ में किया है। जनरल ढिल्लों ने अपनी किताब में लिखा ,” 24 फरवरी की रात को भारतीय सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस ने एक साझा ऑपरेशन को अंजाम दिया था। इस अभियान में जम्मू कश्मीर पुलिस के डीएसपी अमन कुमार ठाकुर और सेना के नायब सुबेदार ओमबीर सिंह ने अदम्य साहस दिखाते हुए आतंकवादियों को ढेर कर दिया था। उन्होंने कहा कि अगर यह ऑपरेशन सफल नहीं होता तो एक और पुलवामा दोहराया जाता।

कितने गाज़ी आए, कितने गाज़ी गए

लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने 25 फरवरी को शनिवार के दिन राजस्थान के जयपुर में अपनी किताब का विमोचन किया। जनरल ढिल्लों ने अपनी किताब कितने गाज़ी आए, कितने गाज़ी गए में लिखा कि मुख्य हमला 14 फरवरी 2019 को हुआ था। एक आत्मघाती हमलावर ने अपनी कार को सीआरपीएफ के काफिले के बस से टकरा दिया था। इस हमले में 40 सीआरपीएफ जवानों की जान चली गई थी। कई अन्य घायल हुए थे। पुलवामा हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों और भारतीय सेना  और जम्मू कश्मीर पुलिस ने अपने अभियान को तेज कर दिया था। जिसके बाद दक्षिण कश्मीर के इलाके में जैश-ए-मोहम्म्द के नेटवर्क में घुसपैठ कर फिर से पुलवामा जैसे हमले को रोका था।

पूर्व सेना अधिकारी ने लिखा ,” सुरक्षा एजेंसियां लगातार पुलवामा जैसे हमले के बारे में जानकारियां जुटा रही थी। दक्षिण कश्मीर के तुरीगाम में जैश की मौजूदगी के बारे में ख़ुफ़िया सुचना मिली। आतंकी पुलवामा जैसे हमले की योजना बना रहे थे। उस समय कुलगाम में तैनात जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी अमन कुमार ठाकुर ने सेना की 34 राष्ट्रीय राइफल्स के साथ मिलकर आंतकवादियों के बारे में जानकारी हासिल की।

पुलवामा हमला

ढिल्लों के अनुसार, भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने पुलवामा हमले के ठीक दस दिन बाद 24 फरवरी 2019 की रात को एक संयुक्त अभियान चलाया। उन्होंने लिखा ,” सेना और पुलिस की संयुक्त टीम ने चुपके से और तेजी के साथ काम करते हुए आतंकवादियों को ट्रैक किया। इस ऑपरेशन के दौरान डीएसपी अमन कुमार ठाकुर ने भारतीय सेना के जवान बलदेव राम को आतंकियों की चपेट में आते हुए देखा। डीएसपी ठाकुर ने अपनी जान की परवाह न करते हुए जवान को सुरक्षित निकाला। इसी दौरान एक छुपे हुए आतंकवादी ने उन पर गोली चला दी। ठाकुर घायल हो गए। घायल होने के बावजूद भी पुलिस अधिकारी ठाकुर ने आतंकवादियों का सफाया किया। ”

उन्होंने कहा ,” इस ऑपरेशन में भारतीय सेना के नायब सूबेदार और डीएसपी ठाकुर ने अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। जनलर ढिल्लों का कहना है कि अगर पुलवामा हमले के दस दिन के भीतर इन आतंकवादियों का सफाया नहीं किया जाता तो एक और पुलवामा हमला हो सकता था।

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