वृद्ध लोगों में फाइजर टीके की बूस्टर डोज कोरोनावायरस संक्रमण का खतरा 10 गुना से अधिक कम करती है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है।
अध्ययन में पाया गया है कि जिन लोगों को फाइजर टीके की बूस्टर डोज मिली थी। उनमें कोरोनावायरस संक्रमण का खतरा 10 गुना घटा है। इस अध्ययन के लिए दो ग्रुप बनाए गए थे। जिनमें एक ग्रुप को बूस्टर डोज और दूसरे को गैर बूस्टर डोज ग्रुप में बांटा गया था।
रिसर्च के अनुसार कोरोना संक्रमण की दर गैर बूस्टर डोज ग्रुप की तुलना में बूस्टर ग्रुप में 11.3 के कारक से कम थी। यह भी पाया गया कि संक्रमण की दर लगभग 19.5 के कारक से कम हो गई थी। इस अध्ययन में 60 साल की आयु से अधिक के लगभग 11 लाख लोगों के अधिकारिक आंकड़ों की समीक्षा पर आधारित है। जिन्हे दो ग्रुप में विभाजित किया गया था। एक तो वह है जिन्हें अपनी दूसरी खुराक के 5 महीने के अंदर बूस्टर डोज मिला था, दूसरे हुए हैं जिन्हे नहीं मिल पाया था।
हालिया रिसर्च में खुलासा हुआ है कि टीके से मिली बूस्टर की दूसरी खुराक के बाद भी केवल 6 महीने में ही कमजोर हो सकती है। लेकिन बूस्टर डोज का बाद प्रभावशीलता 95 % घट जाता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने डाटा में किसी भी तरह संभावित पूर्वाग्रह को ठीक करने के लिए अपनी पूरी कोशिश की। शोधकर्ताओं ने स्वीकार किया है कि उनके निष्कर्ष बेहतर प्रतिरोधक क्षमता के बजाय टीकाकरण के बाद व्यवहार परिवर्तन को दर्शा सकते हैं। क्योंकि अध्ययन में एंटीबॉडी के स्तर को मापने का प्रयास नहीं किया और इसके बजाय आधिकारिक मामलों की गिनती पर भरोसा किया है।