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Live In Relationship: आपसी सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध अब अपराध की श्रेणी में नहीं :SC

आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए कहा,"लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाले,युवक-युवती या आदमी औरत,आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाते हैं तो ये बलात्कार की श्रेणी में नहीं लिया जाएगा।

आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए कहा,”लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाले,युवक-युवती या आदमी औरत,आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाते हैं तो ये बलात्कार की श्रेणी में नहीं लिया जाएगा।

अदालत की बेंच ने कहा ,”आपसी सहमति से एक साथ रह रहे पार्टनर को अब भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के अनुसार बलात्कार के केस में दंडित नहीं किया जा सकता। ये केस कुछ खास पहलुओं की जाँच के बाद देखा जाएगा। जैसे कि आदमी औरत के साथ लिव इन में रहने के बाद शादी नहीं करता है।

अगर एकसाथ रह रहे आदमी औरत अपनी मर्जी से आपसी संबंध बनाते हैं तो भादसा की 376 (बलात्कार ) लागु नहीं होगी।

ये फैसला,जस्टिस ऐके सिकरी और जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर की बेंच ने सुनाया। यहां,कुछ केस ऐसे भी हो सकते हैं जिसमें अभियोक्त्री अपनी मर्जी से शारीरिक संबंध बनाती है या फिर अभियुक्त की गलतफहमी से। कोर्ट ने ये फैसला महारष्ट्र की एक नर्स द्वारा एक डॉक्टर पर कथित लिव इन रिलेशनशिप में रहते हुए यौन शोषण का आरोप लगाकर एफआईर दर्ज की थी। ये मामला अदालत में विचाराधीन था ,जिसको आज उपरोक्त दलीलों का हवाला देते हुए रद्द कर दिया गया है।

कोर्ट ने साफतौर पर कहा ,फैसला मामले की गंभीरता को देखने के बाद ही लिया जाना चाहिए,कितना सच और कितना झूठ है। क्या सिर्फ यौन शोषण किया गया या दोनों की आपसी रजामंदी थी।

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