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जिस शख्स को मुर्दा समझकर दफनाया वो वापिस जिंदा घर लौट आया

उत्तर प्रदेश के कानपूर से एक अजीबोगरीब मामला प्रकाश में आया है। जिस शख्स को घर वालों ने मुर्दा समझकर दफना दिया था, वो तीन दिन बाद जिंदा घर लौट आया है।

उत्तर प्रदेश के कानपूर से एक अजीबोगरीब मामला प्रकाश में आया है। जिस शख्स को घर वालों ने मुर्दा समझकर दफना दिया था, वो तीन दिन बाद जिंदा घर लौट आया है।

यूपी पुलिस की उपलब्धियां

यूपी पुलिस के कारनामों की जितनी तारीफ करो उतनी कम है। यूपी पुलिस को अपनी सर्विस रिवॉल्वर में गोली न होने पर भी अपराधियों को मुंह से गोली चलाकर मार भगाने में महारत हासिल है। सीएम योगी आदित्यनाथ की तेजतर्रार पुलिस की गिरफ्त से खुद सरेंडर किया हुआ अपराधी भी भाग निकलता है और एनकाउंटर में मारा जाता है। इतना ही नहीं अगर यूपी में कोई व्यक्ति किडनैप हो जाता है तो पुलिस अपहृत के परिवार वालों को फिरौती के पैसे अपराधी तक पहुंचाने में भी मदद कर देती है। इसी तरह,उत्तर प्रदेश पुलिस की अनगिनत उपलब्धियां हैं, जिनको छापने के लिए कई साल तक लग सकते हैं।

मामला कानपूर का है

अब यूपी के कानपुर से (विकास दुबे वाले कानपूर से ) एक और अजीब मामला सामने आया है। कानपूर पुलिस ने परिवार वालों को एक ऐसे शख्स की लाश पकड़ा दी, जो उनके परिवार का सदस्य था ही नहीं। परिवार वालों ने भी शव को अपने परिवार का मेंबर समझकर दफना दिया। लेकिन तीन दिन बाद वही शख्स जिंदा घर वापिस लौट आया। अब पुलिस वाले यह खोजने में माथापच्ची कर रहे हैं कि जिसे दफनाया गया वो कौन था ?

दरअसल,न्यूज़ एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार ,’ कानपूर के एक परिवार ने 39 वर्षीय अहमद हसन की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई थी। जिसके बाद पुलिस ने परिवार वालों को एक शव सौंपा। परिवार वालों ने उसे गुमशुदा अहमद की लाश समझकर दफना दिया। लेकिन शुक्रवार के दिन अहमद हसन जिंदा घर वापिस लौट आया।

अहमद हसन ने न्यूज़ एजेंसी को बताया, ” पत्नी के साथ झगड़ा होने के कारण मैं घर छोड़कर चला गया था। तीन दिन बाद जब घर लौटा तो मुझे पता चला कि मुझे मृत घोषित कर दफना दिया गया है। ”

एसएसपी प्रीतिंदर सिंह का ब्यान

एसएसपी कानपूर प्रीतिंदर सिंह ने एएनआई को बताया ,” एक महिला ने अहमद की गुमशुदगी की खबर लिखवाई थी। प्रक्रिया के दौरान उनके परिजनों ने शव की शिनाख्त की। जिसे बाद में दफना दिया गया। लेकिन वो आदमी अब वापिस जिंदा वापिस आ गया है। अब चुनौती ये है कि जिसे दफनाया गया वो कौन था ?” ऐसे में परिवार वालों की तो गलती है ही लेकिन पुलिस ने अपनी खानापूर्ति करने के लिए किसी और आदमी की लाश पकड़ाकर अपना फर्ज बखूबी निभाया।

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