मई महीने में दिखाई देने वाले सुपर मून को फ्लॉवर मून कहा जाता है। फ्लॉवर मून को शाम 4 बजकर 15 मिनट पर दिखाई देगा। भारत में दिन होने के कारण इस मून को नहीं देखा जा सकेगा।
क्या है सुपर मून
पूर्णिमा के दिन चांद पृथ्वी के बहुत नजदीक आ जाता है। जिस कारण चंद्रमा का आकर बड़ा और चमकदार दिखाई देता है। इस कारण समुद्र में ज्वार-भाटा भी आता है। समुद्र ऊंची लहरें उठने और गिरने को ज्वार-भाटा कहा जाता है। सैलानी इसका खूब आनंद लेते हैं।
इससे पहले मार्च महीने में भी सुपर मून दिखाई दिया था। जिसको वार्म मून का नाम दिया गया। उकसे बाद अप्रैल माह में सुपर मून दिखाई दिया ,जिसे पिंक मून के नाम से जाना गया।
आखिरी सुपर मून
आज 7 मई को बुद्ध पूर्णिमा के दिन इस साल का आखिरी सुपर मून (Super Moon) दिखाई देगा। जो भारतीय समयानुसार शाम 4 बजकर 15 मिनट पर दिखाई देगा। भारत में दिन होने के कारण इस मून को नहीं देखा जा सकेगा। खगोल प्रेमी भारतीय इस मून को ऑनलाइन देख सकते हैं।
फ्लॉवर मून
मई महीने में दिखाई देने वाले सुपर मून को फ्लॉवर मून (Flower Moon )कहा जाता है। वहीँ मार्च में दिखाई देने वाले को वार्म और अप्रैल में दिखाई देने वाले मून को पिंक मून (Pink Moon ) कहा जाता है। ये नाम अमेरिका के फूलों और मौसम के नाम पर रखे गए हैं। ‘
ख़ास बात
मार्च और अप्रैल में दिखाई देने वाले वार्म और पिंक मून के मुकाबले मई में दखाई देने वाले फ्लॉवर मून को खास माना जाता है। आमतौर पर पृथ्वी (Earth ) और चंद्रमा के बीच दूरी 384400 किलोमीटर के लगभग होती है। लेकिन सुपर मून के समय यह पृथ्वी के काफी नजदीक आ जाता है। जिसकी दूरी 361184 किलोमीटर के आसपास होती है। धरती के नजदीक होने के कारण यह विशाल और चमकदार दिखाई देता है।
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