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पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 30 साल पुराने केस में उम्रकैद की सजा

1990 में हिरासत में हुई मौत के मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को मिली आजीवन कारावास की सजा। मामला 1990 का है जब आईपीएस संजीव भट्ट गुजरात के जामनगर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात थे।

1990 में हिरासत में हुई मौत के मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को मिली आजीवन कारावास की सजा। मामला 1990 का है जब आईपीएस संजीव भट्ट गुजरात के जामनगर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात थे।

जामनगर जिला और सत्र न्यायालय ने पूर्व आईपीएस अधिकारी (Former IPS officer ) और एक अन्य पुलिस अधिकारी प्रवीणसिंह जाला को 1990 के हिरासत में मौत के मामले में हत्या का दोषी पाया और उन्हें गुरूवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

विशेष सरकारी वकील, तुषार गोकानी और मधु मेहता ने कहा ,” अदालत ने प्रवीणसिंह जाला और संजीव भट्ट (Sanjiv Bhatt )को आईपीसी (IPC ) की धारा 302 के तहत दोषी पाया और इस तरह उन्हें आईपीसी की धारा 302 के तहत उम्र कैद की सजा सुनाई। बाकी आरोपियों को धारा 323 और 506 के तहत दोषी पाया गया है। ”

ये फैसला डीएम व्यास ने सुनाया ,बाकी पांच आरोपियों की सजा का इंतजार है। मामला 1990 का है जब भट्ट गुजरात के जामनगर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात थे। उन्होंने लालकृष्ण अडवाणी (Lal Karishana Advani) द्वारा निकाली जा रही रथयात्रा के समय जमजोधपुर शहर में एक साम्प्रदायिक दंगे के दौरान लगभग 150 लोगों को हिरासत में लिया था। हिरासत में लिए गए लोगों में से एक प्रभुदास वैष्णानी अस्पताल में कथित तौर यातना के कारण मृत्यु हो गई थी। मृतक के भाई अमृतलाल वैष्णानी ने आईपीएस संजीव भट्ट सहित आठ पुलिस कर्मियों के खिलाफ हिरासत में मौत की शिकायत दर्ज कराई थी। ये केस 30 साल पुराना है।

गुजरात उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति सोनिया गोकानी ने अप्रैल में, मृतक के भाई द्वारा दायर विशेष आपराधिक आवेदन में शीघ्र सुनवाई का आदेश दिया था, जिसमें निर्देश दिया गया था कि मामले की सुनवाई दिन-प्रतिदिन के आधार पर की जाए।

1988 बैच के आईपीएस अधिकारी भट्ट वर्तमान में पालनपुर जेल में बनासकांठा के 22 साल पुराने ड्रग प्लांटिंग मामले में न्यायिक हिरासत में हैं।

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