Hartalika Teej हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। हरतालिका तीज का पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। यह भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतीय तिथि को पड़ता है।
हरतालिका तीज की शुरुआत ( Hartalika Teej Beginning )
हरतालिका तीज की शुरुआत माता पार्वती की कठोर तपस्या और भगवान शिव के साथ उनके विवाह की कथा से जुडी है। यह हर और तालिका, हर का मतलब अपहरण और तालिका का मतलब सखी होता है। क्योंकि माता पार्वती की सखियों ने उनका अपहरण कर जंगल में ले जाकर तपस्या करने में मदद की थी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिमालय राजा की पुत्री पार्वती ने पूर्व जन्म के प्रभाव से भगवान शिव को अपने पति के रूप में स्वीकार किया था। लेकिन हिमालय राजा ने पार्वती का विवाह विष्णु से तय कर दिया था। इससे दुखी होकर माता पार्वती ने घर छोड़ दिया और अपनी सखियों की मदद से हिमालय की कंदराओं में कठोर तपस्या की। उन्होंने मिट्टी से शिवलिंग बनाकर पूजा की। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इस घटना से हरतालिका तीज की शुरुआत हुई।
हरतालिका तीज की व्रत कथा
हरतालिका तीज की व्रत कथा माता पार्वती के समर्पण और भक्ति की कहानी है। इस कथा के बिना हरतालिका तीज का व्रत अधूरा माना जाता है।
बहुत समय पहले हिमालय राजा की पुत्री पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने का संकल्प लिया। वे पूर्व जन्म से सती थीं और शिवजी से प्रेम करती थीं। लेकिन हिमालय राजा ने नारदजी की सलाह पर पार्वती का विवाह विष्णु से तय कर दिया। इससे दुखी होकर पार्वती ने अपनी सखियों से मदद मांगी। सखियों ने पार्वती का अपहरण कर उसे घने जंगलों में छिपा दिया। वहां पार्वती ने वर्षों तक कठोर तपस्या की। उन्होंने भोजन त्याग दिया, पेड़ पौधों के पत्ते खाए, फिर हवा पर निर्वाह किया। उन्होंने मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूजा अर्चना की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपने दर्शन दिए और पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इसके बाद विधिवत विवाह सपन्न हुआ।
Hartalika Teej की पूजा विधि
हरतालिका तीज की पूजा घर पर ही बिना पुरोहित के की जा सकती है। यह निर्जला व्रत है, इसलिए पूजा प्रातः काल या शाम के समय की जा सकती है।
पूजा सामग्री: शिव और पार्वती की मूर्ति, कलश, चावल, हल्दी कुमकुम, रोली, फूल,बेलपत्र, घी का दीपक, अगरबत्ती, फल, मिठाई, श्रृंगार का सामान, पंचामृत और व्रत कथा की पुस्तक।
सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें। पूजा स्थल की साफ सफाई करें। स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा का संकल्प लें। कथा का पाठ करें और शिव पार्वती की आरती उतारें। ॐ नमः शिवाय का उच्चारण करें।
हरतालिका तीज का महत्त्व
Hartalika Teej का महत्व शिव पार्वती के अटूट प्रेम से जुड़ा है। सुहागिन महिलाएं यह व्रत पति की लंबी आयु और दांपत्य जीवन में सुख समृद्धि के लिए करती हैं। कुँवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत रखती हैं।