World Press Freedom Index में 142 से खिसक कर 150 वे पायदान पर पहुंचा भारत, देखें बाकी देशों की सूची
मई 4, 2022 | by
प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत पिछले वर्ष 142 वे स्थान पर था। इस बार 8 पायदान फिसल कर 150 वें स्थान पर आ गया है। 180 देशों की सूची में भारत का स्थान 150 वे स्थान पर है।
वैश्विक मीडिया निगरानीकर्ता द्वारा मंगलवार के दिन जारी की गई रिपोर्ट में 180 देशों की विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूची जारी की गई है। रिपोर्ट्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया कि नेपाल को छोड़कर भारत के अन्य पड़ोसी मुल्कों की रैंकिंग में भी गिरावट आई है। जिसमें पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान 157 वे स्थान पर है। वहीं श्रीलंका 146 वे, बांग्लादेश 162 वे और मयांमार 176 वे स्थान पर पहुंच गया है। यह विश्व के 180 देशों की रैंकिंग है।
8 पायदान खिसका भारत
रिपोर्ट्स विदाउट बॉर्डर्स 2022 प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक के अनुसार भारत का स्थान 150 वे स्थान पर पहुंच गया है। पिछले साल भारत 142वे पायदान पर था। इसी रिपोर्ट में बताया गया कि नेपाल वैश्विक रैंकिंग में 76 में स्थान पर पहुंच गया है नेपाल पिछले साल 106 वे स्थान पर था। पिछले साल पाकिस्तान को 145 वे , श्रीलंका को 127 वे , बांग्लादेश को 152 और म्यांमार को 140 वे स्थान पर रखा गया था।
टॉप 5 देश
इस साल नार्वे प्रथम स्थान पर है। जबकि डेनमार्क दूसरे, स्वीडन तीसरे, एस्टोनिया चौथे और फ़िनलैंड पांचवें स्थान पर है। जबकि उत्तर कोरिया इस सूची में सबसे निचले पायदान 180 पर है। रूस को इस रिपोर्ट में 155 वे स्थान पर रखा गया है। पिछले साल रूस 150 वे स्थान पर था।
पत्रकारों पर मुकदमे चलाना बंद करे भारत
वही स्वतंत्र पत्रकारिता के मामले में चीन 175 वे स्थान पर आ गया है। पिछले साल चीन की रैंकिंग 177 थी। रिपोर्ट विदाउट बॉर्डर्स और अन्य मानव अधिकार संगठन भारतीय अधिकारियों से पत्रकारों और ऑनलाइन आलोचकों को उनके काम के लिए निशाना बनाना बंद करने का आग्रह करते हैं। बयान में कहा गया कि विशेष रूप से आतंकवाद और यूएपीए कानूनों के तहत उन पर मुकदमा चलाना बंद कर देना चाहिए।
अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान हो
रिपोर्ट ने कहा कि भारतीय अधिकारियों को अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का सम्मान करना चाहिए और आलोचनात्मक पत्रकारिता के लिए राजनीति से प्रेरित आरोपों में अरेस्ट किए गए किसी भी पत्रकार को रिहा कर देना चाहिए। उन्हें निशाना बनाना बंद कर देना चाहिए। स्वतंत्र पत्रकारिता का गला घोटना बंद करना चाहिए।
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