Dhani Ram Mittal passes away: भारत के सुपर नटवरलाल धनी राम मित्तल का दिल का दौरा पड़ने के कारण निधन हो गया है। पिछले छह दशक तक अपने आपराधिक करियर में धनी राम मित्तल ने कई आश्चर्यजनक चोरियों को अंजाम दिया। इतना ही नहीं वह 40 दिन तक जज की कुर्सी पर बैठकर दो हजार से अधिक अपराधियों को जमानत भी दे चुकेहैं।
धनी राम मित्तल को भारत का सबसे चतुर चोर भी कहा जाता है। कानून की डिग्री हासिल करने के बाद मित्तल ने अपराध की दुनिया को अपना पेशा बनाया और करीब छह दशक तक हरियाणा, पंजाब, राजस्थान समेत कई राज्यों की पुलिस को छकाता रहा। वह एक हजार से अधिक कारें चुराने के बाद हरियाणा के झज्झर जिला मजिस्ट्रेट बन गए और दो हजार से अधिक लोगों को जमानत दी।
85 वर्षीय धनी राम मित्तल के निधन का समाचार सामने आया है। उनके परिवार वालों के अनुसार, धनीराम मित्तल का गुरुवार को दिल का दौरा पड़ने के कारण निधन हो गया है। हालांकि, जिन राज्यों की पुलिस को मित्तल ने कई दशक तक छकाया, वे इस खबर पर विश्वास नहीं करेंगे ,क्योंकि मित्तल ने अपने आपराधिक करियर में कई बार इसी तरह की ट्रिक्स का इस्तेमाल किया है।
पेशेवर चोर धनी राम मित्तल की इसी महीने 26 तारीख को एक आपराधिक मामले में दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में पेशी थी। दरअसल, श्री 420 धनी राम मित्तल वर्ष 2010 में दिल्ली के रानीबाग पुलिस थाने के एक पुराने केस में गैरहाजिर रहने के कारण उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था। हाल ही में मित्तल एक पुराने केस में चंडीगढ़ जेल से रिहा हो कर आया था।
देश के सुपर/शातिर चोर धनीराम मित्तल का इसी गुरुवार को हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया है। उनका अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर किया गया। बेशक मित्तल का निधन हो गया है लेकिन उनकी चोरी के किस्से रहती दुनिया तक रहेंगे। उनकी चोरी के किस्से हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश,राजस्थान सहित देश के कई राज्यों की अदालत और पुलिस की फाइलों में ज़िंदा रहेंगे। हालांकि, धनी राम ने एक इंटरव्यू में खुद स्वीकार किया था कि वह अहिंसक अपराधी है और कभी किसी को शारीरिक नुकसान नहीं पहुंचाया। उसने सिर्फ लोगों को धोखा दिया।
दिल्ली में धनी राम मित्तल के कारनामों पर सबसे ज्यादा तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर ( अब एसीपी ) राजपाल डबास ने कई खुलासे किए थे। राजपाल ने ही मित्तल को कई चोरियों के मामले में गिरफ्तार किया था। 1939 को हरियाणा के भिवानी में जन्मे धनी राम मित्तल कुछ समय पहले नरेला में रहते थे और बाद में बुराड़ी में रहने लगे थे। उन्होंने रोहतक कॉलेज से स्नातक करने के बाद फर्जी दस्तावेज बनाकर रेलवे में नौकरी की। वह 1968 से 1974 तक रेलवे मास्टर के पद पर तैनात रहे। इससे पहले वह 1964 में रोहतक के आरटीओ में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के मामले में गिरफ्तार भी हुए थे।
एसीपी राजपाल डबास के अनुसार, 1970 में मित्तल ने अख़बार में एक खबर पढ़ी थी। जिसमें जिसमें लिखा था कि हरियाणा के झज्जर के एडिशनल जज के खिलाफ विभागीय कार्यवाई के आदेश जारी किए गए थे। इसके बाद धनीराम कोर्ट पहुंचे और इस मामले की पूरी जानकारी एकत्रित की। इसके बाद घर आकर मित्तल ने जिस जज के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश थे, उसके नाम पर एक सीलबंद लिफाफा पोस्ट किया। इस लिफाफे पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार के हस्ताक्षर और मुहर लगी हुइ थी। इस पत्र में उस जज को विभागीय कार्रवाई होने तक दो महीने की छुट्टी का आदेश था।
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शातिर चोर द्वारा भेजी गई इस चिट्ठी को असली मानकर जज छुट्टी पर चले गए। उसके एक दिन बाद एक और लेटर उसी कोर्ट में पहुंचा। जिसमें लिखा था कि जज के खिलाफ विभागीय कार्रवाई चल रही है, ऐसे में अदालत का कामकाज न रुके, इसलिए धनी राम जज का कार्य भार संभालेंगे। पत्र में दिए गए आर्डर के अनुसार, धनी राम हरियाणा हाई कोर्ट का पत्र लेकर जज की वेशभूषा में झज्जर कोर्ट पहुंचे। स्टाफ ने उनको उनका चैंबर दिखाया। इसके बाद मुल्जिमों को जज ( मित्तल ) के सामने पेश किए जाने का सिलसिला शुरू हुआ।
मिस्टर नटवरलाल धनी राम मित्तल झज्जर जिला मजिस्ट्रेट के पद पर 40 दिन तक रहे। इस दौरान उसने 2500 के करीब अपराधियों को जमानत दे डाली। बाद में जैसे ही धनी राम की पोल खुली तो वह फरार हो गए। पुलिस के अनुसार, दुनियाभर में ये एक ऐसा अकेला मामला है, जहां एक शातिर चोर फर्जी दस्तावेज बनाकर 40 दिन तक अदालत का कामकाज देखता रहा।