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जानिए एयर इंडिया की महिला पायलट जोया अग्रवाल के बारे में जिन्होंने सैन फ्रांसिस्को से बेंगलुरु के लिए उड़ान भरकर इतिहास रचा

1990 में एक निम्न वर्ग मध्यम वर्गीय परिवार में पैदा हुई लड़की के रूप में जोया अग्रवाल ने इस साल जनवरी में इतिहास रचा था। ऐसा कारनामा करने वाली जोया अग्रवाल पहली महिला पायलट है ।

1990 में एक निम्न वर्ग मध्यम वर्गीय परिवार में पैदा हुई लड़की के रूप में जोया अग्रवाल ने इस साल जनवरी में इतिहास रचा था। ऐसा कारनामा करने वाली जोया अग्रवाल पहली महिला पायलट है ।

जनवरी 2021 के शुरुआत में महिला पायलटों के एक दल ने दुनिया के सबसे लंबे हवाई मार्ग पर उड़ान भरकर विमानन इतिहास रच दिया है। एयर इंडिया की कप्तान जोया अग्रवाल, जिन्होंने सैन फ्रांसिस्को से लेकर बेंगलुरु तक की उड़ान की कमान संभाली थी। उन्होंने मेंस ऑफ मुंबई से पायलट बनने के बचपन के सपने के बारे में बात की।

उन्होंने बताया कि इसे हासिल करने के लिए उसे कैसे दुनिया की पहली महिला के रूप में इतिहास रचा। अग्रवाल ने मीडिया को बताया 90 के दशक में मैं एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में एक लड़की के रूप में पैदा होने का मतलब था कि आपको अपने साधनों से परे सपने देखने की अनुमति नहीं है। फिर भी वह 8 साल की उम्र में पायलट बनना चाहती थी । वह कहती है मैं छत पर जाती, आकाश में हवाई जहाजों को देखती और आश्चर्य करती थी कि शायद सच में मैं इन विमानों में से एक उड़ा रही होती तो मैं सितारों को छूती ।

जोया अग्रवाल शुरू में अपने माता-पिता को अपने सपनों के बारे में बताने में झिझक रही थी। खासकर जब उसने अपनी मां को यह कहते हुए सुना कि जोया की बड़ी होने पर उसे अच्छे परिवार में शादी करनी होगी। हालांकि जोया का कहना है कि वह दसवीं कक्षा पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई पूरी करने करके एक पायलट बनना चाहती है। उसकी मां रोने लगी और उसके पिता ने पायलट प्रशिक्षण के खर्च की चिंता की थी ।

जोया अग्रवाल ने 11वीं और 12वीं में विज्ञान विषय लिया। वह कहती है।” मैंने अपने 12वीं बोर्ड में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए बहुत मेहनत की साथ ही उसने उसके एवियशन कोर्स के लिए आवेदन किया। जिसका भुगतान उसने वर्षों से बचाए हुए पैसों से किया।

3 साल तक जोया अग्रवाल कॉलेज जाती थी और फिर शहर के दूसरे हिस्से में अपने एवियशन कोर्स के लिए चली जाती। रात करीब 10:00 बजे ही घर पहुंची थी। अपना काम पूरा करने के लिए बैठ जाती थी। अग्रवाल ने कहा,” जब मैंने कॉलेज में टॉप किया तो मैं पापा के पास गई और पूछा अब आप क्या मुझे अपने सपनों को आगे बढ़ाने की अनुमति देंगे।

पापा मेरे सपनों को पूरा करने के लिए कर्ज लेने के लिए तैयार हो गए। वह कहती है कि मैंने इसमें अपना दिल और आत्मा लगा दी और अच्छा प्रदर्शन किया फिर भी उन्हें नौकरी के अवसर के लिए 2 साल इंतजार करना पड़ा। लेकिन आखिरकार एयर इंडिया की 7 पायलटों के लिए रिक्तियां आई। जिसके लिए जोया ने 3000 अन्य लोगों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा की और हाथ में एक प्रस्ताव पत्र के साथ उबरने में सफल रही।

हालांकि यह इतना आसान नहीं था, जोया को याद है कि साक्षातकार के 4 दिन पहले उनके पिता को दिल का दौरा पड़ा था। जोया एक प्रथम अधिकारी के रूप में एयर इंडिया में शामिल हो गई । ‘ 2004 में मैंने दुबई के लिए अपनी पहली उड़ान भरी मैंने आखिरकार सितारों को छुआ।’ उसके बाद जोया के पिता ने लिए गए कर्ज का भुगतान किया और अपनी मां के लिए हीरे की बालियां खरीदी। महामारी के दौरान जोया ने अपनी स्वेच्छा से बचाव कार्यों का नेतृत्व किया।

इस साल जोया अग्रवाल ने उड़ान ai176 की कमान संभाली। जिसने सैन फ्रांसिस्को से बेंगलुरु के बीच सबसे लंबी हवाई दूरी तय की। पायलट ने उत्तरी ध्रुव के ऊपर से उड़ान भरी और बेंगलुरु पहुंचने के लिए अटलांटिका का मार्ग अपनाया । जोया कहती हैं कि मैंने दुनिया के सबसे लंबे हवाई मार्ग पर उड़ान भरने वाले पहले महिला कॉकपिट का नेतृत्व किया। 9 जनवरी 2021 को मैं विपरीत ध्रुवों को पार करने वाली दुनिया की पहली महिला बन गई।

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