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जानिए दुनिया के सबसे खतरनाक जासूसी सॉफ्टवेयर Pegasus की पूरी कहानी

इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप द्वारा डिजाइन किया गया जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस आज पूरे विश्व में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह सॉफ्टवेयर मोबाइल में सिर्फ एक मैसेज भेज कर किसी की भी तमाम जानकारियां हासिल कर सकता है। आज हम आपको इस खतरनाक सॉफ्टवेयर के बारे में विस्तारपूर्वक बताने जा रहे हैं। चलिए जानते हैं पेगासस सॉफ्टवेयर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में।

इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप द्वारा डिजाइन किया गया जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस आज पूरे विश्व में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह सॉफ्टवेयर मोबाइल में सिर्फ एक मैसेज भेज कर किसी की भी तमाम जानकारियां हासिल कर सकता है। आज हम आपको इस खतरनाक सॉफ्टवेयर के बारे में विस्तारपूर्वक बताने जा रहे हैं। चलिए जानते हैं पेगासस सॉफ्टवेयर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में।

जासूसी की दुनिया शुरू से ही अलग रही है। पहले राजा महाराजा अपनी जनता और दुश्मनों की निगरानी रखने के लिए जासूस लगाते थे जिन्हें अय्यार कहा जाता था। लेकिन अब आधुनिक युग में जासूसी एजेंसियों के अलावा सॉफ्टवेयर के द्वारा भी जासूसी की जा रही है।

वक्त बदलने के साथ-साथ जासूसी के तरीके बदल गए हैं। आज हम बताने जा रहे हैं दुनिया के सबसे खतरनाक जासूसी स्पाइवेयर के बारे में, जिसका नाम है पेगासस। यह ऐसा खतरनाक सॉफ्टवेयर है जो बिना आपकी जानकारी के आपके मोबाइल में घुसकर पूरी डिटेल हासिल कर सकता है। दूसरे शब्दों में आप इसे सरकारी जासूस भी कह सकते हैं।

पेगासस का हंगामा 

जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस ने पूरी दुनिया को हिला कर रखा है। इसकी वजह से भारत की सियासत में भूचाल मचा हुआ है। पाकिस्तान ,चीन ,रशिया ,अमेरिका की वजह से नहीं बल्कि इस जासूसी मोबाइल सॉफ्टवेयर पेगासस की वजह से दुश्मन देशों को तो छोड़िए इस ने विपक्षी पार्टियों के साथ साथ अदालत के जजों पत्रकारों और मानवाधिकार संस्थाओं तक की नींद उड़ा रखी हैं। खास तौर पर इसकी नजर विरोधी दलों पर है।

क्या है पेगासस सॉफ्टवेयर

यह दुनिया का सबसे खतरनाक सॉफ्टवेयर है। जिसकी वजह से हिंदुस्तान सरकार में हंगामा बरपा हुआ है। सर्वोच्च अदालत में एक नए हलफनामे में तकनीकी एक्सपर्ट्स के हवाले से दावा किया गया है कि फोन की फॉरेंसिक जांच में कुछ के स्मार्टफोन में पेगासस की सेंध के सबूत मिले हैं।

फोन में हुई घुसपैठ

बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2021 के अक्टूबर महीने में इस मामले की जांच के लिए सर्वोच्च अदालत के सेवानिवृत्त जस्टिस आरवी रविंद्रन की अगुवाई में साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट की एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने जनवरी महीने में कुछ फोन की जांच कराई थी। जिसमें कुछ फोन में पेगासस की घुसपैठ के सबूत मिले हैं।

इनकी हुई जासूसी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए जिन लोगों की जासूसी कराई गई है। उनमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी, कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, बीजेपी पार्टी से केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद पटेल के नाम शामिल हैं। ऐसा अंदेशा जाहिर किया गया है कि इस सॉफ्टवेयर के जरिए इन लोगों के मोबाइल नंबर की निगरानी की गई है। इनके अलावा कुछ पत्रकारों और मानव अधिकार संस्थाओं से जुड़े बड़े लोगों, सियासी पार्टियों के नेताओं के नामों की भी आशंका है।

अधिकारियों और मंत्रियों की हुई जासूसी

पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर यह इल्जाम है कि वह अपने विरोधियों की तो जासूसी करा रहे हैं साथ में अपने मंत्रियों और अधिकारियों की भी जासूसी कर उनकी नकेल कसते हैं। विपक्षी दल पिछले कुछ सालों में पीएम मोदी की सियासी जीत को पेगासस से जोड़ रहे हैं। क्योंकि मौजूदा समय में इंसान अपने डेटा का गुलाम होकर रह गया है और उसके तमाम डाटा, तमाम जानकारियां उसके मोबाइल में मौजूद रहती हैं। अगर एक बार आपके मोबाइल में यह जासूसी सॉफ्टवेयर घुस गया तो बिना जुबान से बोले आपकी सारी जानकारियों में सेंध लगा सकता है।

फिर बोतल से बाहर आया पेगासस का जिन्न  

अमेरिका के प्रख्यात अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार पीएम नरेंद्र मोदी के जुलाई 2017 में इजरायल के दौरे के दौरान भारत सरकार के बीच 15000 करोड रुपए की डिफेंस डील हुई। इस डील में प्रकाशित जासूसी सॉफ्टवेयर भी शामिल था। हालांकि यह एक गिव एंड टेक जैसी डील थी। जिसके तहत पेगासस के बदले भारत ने जून 2019 में संयुक्त राष्ट्र में इजराइल के पक्ष में और फिलिस्तीन के खिलाफ वोट दिया था। यह पहली बार था जब भारत ने इजराइल फिलिस्तीन बाद में किसी एक पक्ष के वोट में दिया था।

भारत में पहली बार 2019 में पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए कई चर्चित हस्तियों की जासूसी का मुद्दा उठा। हालांकि भारत सरकार और इजराइल सरकार दोनों ने इससे इनकार किया है। भारत और इजराइल सरकार ने कभी भी यह बात नहीं मानी कि उन्होंने पेगासस को लेकर डील की थी।

इन देशों ने खरीदा इजराइल से सॉफ्टवेयर

NSO ग्रुप से सॉफ्टवेयर खरीदने वाला अकेला भारत ही नहीं है बल्कि इजराइल से यह डील करने वाले देशों में अमेरिका, सऊदी अरब, यूनाइटेड अरब अमीरात, आर्मेनिया, अज़रबैजान, बहरीन, फिनलैंड, हंगरी, जॉर्डन , कजाकिस्तान, मेक्सिको, पोलैंड और युगांडा जैसे कई बड़े देशों के नाम भी शामिल हैं।

न्यूयॉर्क टाइम्स का दावा

अमेरिका के विश्व प्रसिद्ध न्यूज़पेपर का दावा है कि साल भर की लंबी जांच के बाद यह खुलासा हुआ है कि भारत के अलावा अमेरिका की जांच एजेंसी एफबीआई ने भी इस सॉफ्टवेयर खरीदा था। अमेरिकी जांच एजेंसी ने घरेलू निगरानी के लिए सालों तक इस सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग भी की लेकिन पिछले साल इसका इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे दुनिया भर में इस खतरनाक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया। मेक्सिको की सरकार ने पत्रकारों और विरोधियों के खिलाफ तो सऊदी अरब ने शाही परिवार के आलोचक रहे पत्रकार जमाल खशोगी और उनके सहयोगियों के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया।

कितनी है एक लाइसेंस की कीमत

कई स्मार्टफोन में सेंध लगाने में सक्षम पेगासस के एक सिंगल लाइसेंस की कीमत करीब 7000000 रूपये तक है। एनएसओ अपने ग्राहकों से पेगासस के जरिए 10 मोबाइल फोन में सेंध लगाने के लिए 9 करोड रुपए तक वसूलता है और साथ ही इसके इंस्टॉलेशन के लिए 5 करोड रुपए लेता है।

क्या होता है पेगासस

इस मामले की तह तक जाने से पहले यह समझ लेना जरूरी है कि आखिर यह स्पाइवेयर क्या बला है? और कैसे काम करता है? आज हम जो भी फोन इस्तेमाल करते हैं वह दो तरह के होते हैं। एक एंड्राइड दूसरा आईओएस। पेगासस इन्हीं की कमियों का फायदा उठाकर निशाना बनाता है।

अगर आपका फोन लेटेस्ट सिक्योरिटी से लैस हो तब भी पेगासस उसमें सेंध लगा सकता है। इसके लिए यह जरूरी नहीं है कि जासूसी कराने वाला उस इंसान के नजदीक हो या फोन उसके हाथ में हो। फोन की जासूसी करने के लिए पेगासस टीम की तरफ से एक एस एम एस भेजा जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो दूर बैठा हुआ इंसान आपकी डिवाइस में इस सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल कर सकता है।

यह एक ऐसा प्रोग्राम है जो एक एसएमएस लिंक भेज कर इंस्टॉल और एक्टिवेट किया जाता है। यह फोन में इंस्टाल  माइक्रोफोन कैमरा ऑडियो वीडियो टेक्स्ट मैसेज ईमेल जीपीएस लोकेशन तक की जानकारी हासिल कर सकता है। पेगासस जासूसी कराने वाले इसे इंक्रिप्टेड ऑडियो सुनने और इंक्रिप्टेड मैसेज को पढ़ने लायक बना देता है।

हैकर बिना शक पैदा हुए ही अपने टारगेट के कांटेक्ट लिस्ट से लेकर उसकी कॉल तक को आसानी से सुन सकता है। पेगासस के इस्तेमाल से हैक करने वाले को उस व्यक्ति के फोन से जुड़ी सारी जानकारियां मिल जाती है। कई बार यह व्हाट्सएप पर मिस कॉल के जरिए भी आपके डिवाइस में एंट्री कर सकता है। पेगासस ने पूरे विश्व में करीब 14 सौ एंड्राइड और आईफोन को व्हाट्सएप के जरिए अपना टारगेट बनाया है।

इजराइल की कंपनी एनएसओ ने बनाया पेगासस

बता दें कि एक दशक की कड़ी मेहनत के बाद इजराइल की कंपनी एनएसओ ने इस जासूसी हथियार को तैयार किया है।  जो अब दुनिया के लिए खतरा बनता जा रहा है। इसको बनाने वाला ग्रुप हजारों करोड़ रुपए का मालिक बन गया है। एनएसओ ग्रुप ने इस सॉफ्टवेयर को दुनिया के 40 देशों में बेचा है। हालांकि इजरायली कंपनी का दावा है कि उसने इस सॉफ्टवेयर को इंसानियत की भलाई के लिए बनाया है ताकि इसकी मदद से अपराधियों और आतंकवादियों को पकड़ा जा सके।

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