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इजराइली साइबर सुरक्षा कंपनी NSO द्वारा विकसित Pegasus सॉफ्टवेयर से भारत के 49 पत्रकारों और 300 राजनेताओं सहित दुनिया भर में प्रमुख हस्तियों की हो रही है जासूसी

इजराइल की कंपनी NSO ने Pegasus नाम का सॉफ्टवेयर बनाया है । यह छोटी सी फाइल है जो आपके फोन में इंस्टॉल हो जाती है फिर आपके फोन की जासूसी शुरू हो जाती है। इजराइली एजेंसी NSO सिर्फ सरकारी एजेंसियों के साथ काम करती है।

इजराइल की कंपनी NSO ने Pegasus नाम का सॉफ्टवेयर बनाया है । यह छोटी सी फाइल है जो आपके फोन में इंस्टॉल हो जाती है फिर आपके फोन की जासूसी शुरू हो जाती है। इजराइली एजेंसी NSO सिर्फ सरकारी एजेंसियों के साथ काम करती है।

द गार्जियन, द वाशिंगटन पोस्ट, द वायर, द हिंदू सहित 16 मीडिया संगठनों ने संयुक्त रूप से जांच की है। जिसमें पेगासस सॉफ्टवेयर के बारे में खुलासा किया गया है। इसी कड़ी में फोरबिडेन स्टोरीज ने एनएसएसओ का एक लीक वीडियो जारी कर खुलासा किया है।

पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए भारत में बड़े पैमाने पर पत्रकारों को फोन  हैक किए गए यानी उनकी जासूसी की गई । जिन भारतीय पत्रकारों, राजनेताओं और जजों के पेगासस सॉफ्टवेयर द्वारा जासूसी की जा रही थी। उनकी फेहरिस्त बहुत लंबी है। लेकिन इस लिस्ट के कुछ हिस्से की जांच हुई है। जिसमें 49 पत्रकार, सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज, तीन विपक्षी नेताओं सहित काफी लोगों के फोन हैक हुए हैं।

इन पत्रकारों के फोन हुए हैक 

जिन पत्रकारों के फोन की जासूसी की गई है। उनके नाम इस प्रकार हैं। सिद्धार्थ वर्धराजन, एमके वेणु ,रोहिणी सिंह, प्रेम शंकर झा ,स्वाति चतुर्वेदी, प्रशांत झा ,विजेता सिंह , रितिक चोपड़ा , राहुल सिंह , औरंगजेब नक्शबंदी, संजय श्याम, संदीप उन्नीथन और जसपाल सिंह हैरान हैं ।

कई मीडिया संगठनों ने किया खुलासा 

द वायर और फोरबिडेन स्टोरीज सहित कई बड़े मीडिया संगठनों ने इस जासूसी वाले सॉफ्टवेयर पेगासस के बारे में खुलासा किया है। द वाशिंगटन पोस्ट, द गार्जियन, द वायर सहित17 अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों की संयुक्त जांच में है मामला सामने आया है। हालांकि भारत सरकार ने इस जांच को खारिज करते हुए पूरी तरह बेबुनियाद बताया है।

पत्रकार रणविजय सिंह ने उठाये सवाल 

फ्रीलांसर पत्रकार रणविजय सिंह ने सरकार के इस बयान पर एक एक ट्विटर थ्रेड  जारी करते हुए ट्विटर पर लिखा, ” एक अहम बात है। एनएसओ पर पेगासस वाली सर्विस देने के लिए अच्छा खासा पैसा लेती है। क्योंकि एनएसओ सिर्फ सरकारी एजेंसियों के साथ ही काम करती है। ऐसे में इसका पैसा भी सरकारी एजेंसियों के मार्फत की दिया जाएगा। इसका मतलब है कि यह लोगों के टैक्स का पैसा है।”

इजराइल की स्पाई कंपनी एनएसओ कुछ गिने-चुने देशों के साथ ही काम करती है। जिनमें से अज़रबैजान, सऊदी अरब, भारत , मैक्सिको रवांडा और कनाडा सहित कई अन्य मुल्क है। वह अपने क्लाइंट के बारे में ज्यादा जानकारी का खुलासा नहीं करती है।

द गार्जियन का खुलासा 

द गार्जियन ने रविवार देर रात बहु स्तरीय जांच की पहली किस्त में दावा किया है कि 40 भारतीय पत्रकारों सहित दुनियाभर के 180 संवाददाताओं के फोन हैक किए गए। इनमें हिंदुस्तान टाइम्स, द वायर, मिंट के तीन पत्रकारों के अलावा फाइनेंशियल टाइम्स के संपादक रौला खलाफ, इंडिया टुडे, नेटवर्क 18, इंडियन एक्सप्रेस, वॉल स्ट्रीट जनरल, सीएनएन , द न्यूयॉर्क टाइम्स तथा ले मोंटे के वरिष्ठ संवाददाता के फोन शामिल हैं। जांच में दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक पूर्व प्रोफेसर और जून 2018 से अक्टूबर 2020 के बीज एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार 8 कार्यकर्ताओं के मोबाइल फोनहैक किए जाने का दावा किया गया है।

भारत सरकार ने किया दावे को ख़ारिज 

हालांकि भारतीय सरकार ने इस जांच को खारिज करते हुए भारत के लोकतंत्र को बदनाम करने की साजिश बताया है। केंद्र सरकार ने 2019 में हुए व्हाट्सएप विवाद का भी जिक्र किया है। जिसके तहत व्हाट्सएप में मौजूद एक खामी का इस्तेमाल कर 20 हस्तियों के फोन में मालवेयर डाले जाने का दावा किया गया था।

यह जांच फोरबिडेन स्टोरीज और एएमनेस्टी इंटरनेशनल को प्राप्त लगभग 50000 नामों और नंबरों पर आधारित है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इनमें से 67 फोन  की फॉरेंसिक लैब में जांच कराई। इस दौरान 23 फोन हैक मिले। जबकि 14 अन्य में सेंधमारी की कोशिश की पुष्टि हुई है। द वायर ने खुलासा किया कि भारत में भी 10 फोन की फॉरेंसिक जांच कराई गई है। यह सभी या तो हैक  हुए थे या फिर इनकी हैकिंग का प्रयास किया गया था।

द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार इजरायली कंपनी एनएसओ के पास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने वाले देशों में बहरीन, अज़रबैजान कजाकिस्तान, मैक्सिको, मोरक्को, रवांडा, हंगरी , सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल है।

क्या पेगासस सॉफ्टवेयर

पेगासस संबंधित फोन पर आने जाने वाली कॉल का ब्यौरा जुटाने में सक्षम है। यह फोन में मौजूद मीडिया फाइल और दस्तावेजों के अलावा उस पर जाने और आने वाले s.m.s. ईमेल और सोशल मीडिया मैसेज की जानकारी दे सकता है। पेगासस सॉफ्टवेयर को जासूसी के क्षेत्र में अचूक माना जाता है। तकनीकी जानकारों का दावा है कि इससे व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे ऐप भी सुरक्षित नहीं है।  क्योंकि यह फोन में मौजूद एंड टू एंड इंक्रिप्टेड चैट को भी पढ़ सकता है। पेगासस स्पाइवेयर है जिसे इजराइली साइबर सुरक्षा कंपनी NSO ग्रुप ऑफ़ टेक्नोलॉजी में विकसित किया है। जिसका दूसरा नाम ‘क्यू सुइट’ है। इस सॉफ्टवेयर से उन फोन और डिवाइसेज को हैक किया जा सकता है जिसे लेकर कंपनियां हैकप्रूफ होने का दावा करती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार अमेजन के सीईओ जैफ बेजोस का व्हाट्सएप भी इसी सॉफ्टवेयर के जरिए हैक हुआ था।

क्यों है खतरनाक यह सॉफ्टवेयर 

इस सॉफ्टवेयर को किसी भी फोन में सिर्फ एक मिस कॉल के जरिए इंस्टॉल किया जा सकता है। यूज़र की इजाजत और जानकारी के बिना भी फोन में डाला जा सकता है ।एक बार फोन में इंस्टॉल होने के बाद इसे हटाना आसान नहीं है।

कैसे काम करता है

यह एक प्रोग्राम है। जिसे अगर किसी स्मार्टफोन में डाल दिया जाए तो स्मार्ट फोन पर माइक्रोफोन, कैमरा, ऑडियो, टेक्स्ट मैसेज, ईमेल लोकेशन तक की जानकारी हासिल कर सकता है।

कितना असरदार है यह सॉफ्टवेयर

दावा किया गया है कि एंड्रॉयड और आईओएस डिवाइस दोनों की जासूसी कर सकता है। साइबर सुरक्षा एजेंसी कैस्परस्पाई की एक रिपोर्ट के अनुसार पेगासस आपको इंक्रिप्टेड ऑडियो सुनने और एंक्रिप्ट संदेशों को पढ़ने लायक बना देता है। पेगासस के इस्तेमाल से हैक करने वाले उस व्यक्ति के फोन से जुड़ी जानकारियां मिल जाती हैं।

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