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Lunar Eclipse 2021 : जानिए कितने तरह के होते है चंद्रग्रहण और क्या होता है सूतक काल

साल 2021 का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई को लगने वाला है। यह एक पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी की अंधेरी छाया से होकर गुजरेगा। यह चंद्रग्रहण 21 जनवरी 2019 के बाद पहला पूर्ण चंद्रग्रहण होगा।

चंद्र ग्रहण 2021

26 मई 2021 को लगने वाला पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत के कुछ हिस्सों में आंशिक रूप से दिखाई देगा। ग्रहण का आंशिक चरण दोपहर 3:15 से शुरू होगा और 6:23 पर समाप्त होगा। जबकि ग्रहण का पूर्ण चरण शाम 4:39 पर शुरू होगा शाम 4:58 पर खत्म होगा।

कहां दिखाई देगा चंद्र ग्रहण ?

चंद्र ग्रहण का कुछ हिस्सा भारत के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। जिसमें पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और तक कुछ तटीय इलाकों में दिखाई देगा। एक ग्रहण वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में लगेगा। भारत में अधिकांश हिस्सों में यह ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण के रूप में दिखाई देगा। इस कारण ग्रहण के दौरान सूतक मान्य नहीं होंगे। जानिए कितने तरह के होते हैं चंद्रग्रहण और क्या होता है सूतक काल।

ग्रहण के दौरान चंद्रमा के लाल और नारंगी रंग के दिखने के कारण पूर्ण चंद्रग्रहण को अक्सर ब्लड मून भी कहा जाता है। सुपरमून शब्द का मतलब है चंद्रमा का सामान्य से बड़ा दिखना होता है। रिपोर्ट के अनुसार 26 मई को दिखने वाला चंद्रमा ग्रहण इस साल सबसे बड़ा चांद होगा।

यह चंद्र ग्रहण भारत के अलावा पश्चिमी अमेरिका के कुछ हिस्सों ,पश्चिम दक्षिण अमेरिका, दक्षिण पूर्व एशिया के लोग इसे सुपर ब्लड मून के रूप में देख सकेंग। आमतौर पर हर साल करीब 4 से लेकर 7 ग्रहण लगते हैं। जिसमें सूर्य और चंद्रमा ग्रहण दोनों होते हैं। इनमें से कुछ पूर्ण ग्रहण होते हैं और कुछ आंशिक ग्रहण होते हैं। इस साल कुल 4 ग्रहण लगेंगे। जिनमें से चंद्र ग्रहण दो और सूर्य ग्रहण दो होंगे।

साल का पहला ग्रहण

26 मई को साल का पहला चंद्र ग्रहण लगेगा। 21 जून 2021 को वलयाकार सूर्य ग्रहण लगेगा। 19 नवंबर 2021 को आंशिक चंद्र ग्रहण लगेगा। 4 दिसंबर 2021 को पूर्ण सूर्य ग्रहण लगेगा।

सूर्य ग्रहण एक प्रमुख खगोलिया घटना है । सूर्य ग्रहण के दौरान पृथ्वी के हिस्से पर चंद्रमा की छाया पड़ती है। जिससे सूरज की रोशनी पूरी या आंशिक तौर पर पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती। इस दौरान सूरज चांद और पृथ्वी एक सीध में आ जाते हैं। पूर्ण सूर्य ग्रहण में सूरज पूरी तरह से चंद्रमा के पीछे छिप जाता है। वही आंशिक ग्रहण अंगूठी की तरह दिखाई देता है ।

आइए जानते हैं सूतक काल के बारे में

ज्योतिषविदों के अनुसार ग्रहण कोई भी हो ,ग्रहण से कुछ घंटे पहले का समय ऐसा होता है जब प्रकृति बहुत संवेदनशील हो जाती है। उस दौरान पृथ्वी पर कई नकारात्मक ऊर्जाएं पैदा होती है। जो अनहोनी की आशंका को बढ़ाती है। इस समय को ही सूतक काल माना जाता है। धार्मिक लिहाज से इस समय को पवित्र नहीं माना जाता और मंदिर आदि के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, साथ ही कुछ नियमों का पालन करने की भी सलाह दी जाती है। हालांकि इस बीच भगवान का मानसिक ध्यान करना अच्छा होता है । आमतौर पर चांद ग्रहण से 9 घंटे पहले और सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल होता है।

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