Mission Chandrayaan 3 Latest Updates: प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर को चांद की धरती पर सोते हुए 16 दिन हो गए हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ( ISRO ) प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर से लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहा है लेकिन सफल नहीं हो पा रहा। अब इसरो चीफ एस सोमनाथ ने मिशन चंद्रयान 3 पर ताजा अपडेट दिए हैं।
भारत का मिशन चंद्रयान 3 पहले 14 दिन तक चांद पर काफी खोजें करने के बाद वहां रात होते ही निष्क्रिय हो गया था। सबसे पहले बता दें, चांद पर 14 दिन रात होती है और 14 दिन तक दिन रहता है। इसे चांद पर पृथ्वी के एक दिन और रात के बराबर माना जाता है। चूंकि, अब चांद पर दिन निकल आया है, ऐसे में उम्मीद जताई जा रही थी कि चन्द्रमा की सतह पर आराम फरमा रहे प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर फिर से एक्टिव हो जाएंगे। क्योंकि दोनों को सक्रिय होने के लिए सौर ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। अब रात होने के बाद चांद पर दिन निकल आया है और पूर्ण सूर्य का प्रकाश भी है। लेकिन भरपूर रोशनी मिलने के बाद भी प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर एक्टिव नहीं हुए हैं।
कहां आ रही है प्रॉब्लम ?
अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के चीफ एस सोमनाथ ने चंद्रयान 3 पर बड़ा अपडेट दिया है। उन्होंने कहा कि चांद पर दोबारा सूर्योदय के बाद प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर से संपर्क साधने की कोशिश चल रही है। ताकि चांद पर रिसर्च को आगे जारी रखा जा सके। इसरो चीफ ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि जैसे ही विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को पर्याप्त सौर ऊर्जा मिलेगी, वे स्वतः ही सक्रिय हो जाएंगे।
इसरो चीफ ने उपरोक्त बात इस आधार पर कही है कि चांद पर अभी पृथ्वी के 12 दिनों तक दिन रहेगा और वहां सूर्य उदय रहेगा। चन्द्रमा के दक्षिण ध्रुव पर जब तक सूर्य की रोशनी आती रहेगी तब तक प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर सक्रिय होते रहेंगे और आगे के अविष्कार जारी रहेंगे। इसरो के मुताबिक, प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर अत्याधुनिक तकनीक से लेस है,ऐसे में उनके दोबारा सक्रिय होने की पूरी उम्मीद है।
स्लीपिंग मोड़
बता दें, इसरो ने 2 सितंबर को जानकारी दी थी कि चांद के दक्षिण ध्रुव पर रात होते ही विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर अगले 14 दिनों के लिए स्लीपिंग मोड़ में चले जाएंगे। इससे पहले दोनों के बैटरी बैकअप लिए गए थे। सोने से पहले विक्रम और प्रज्ञान की बैटरियां फूल चार्ज थी। 6 सितंबर को विक्रम और प्रज्ञान रोवर स्लीपिंग मोड़ में चले गए थे। जिसके बाद 22 सितंबर को चांद पर सूरज उगने के बाद दोनों को एक्टिव होना था लेकिन अभी तक नहीं हुए। दोनों को फिर से सक्रिय करने के लिए इसरो भरपूर प्रयास कर रहा है।