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राजनीती में सेना के इस्तेमाल को लेकर 150 से ज्यादा पूर्व सैनिकों ने लिखा राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र

राजनीती में सेना नाम और काम के इस्तेमाल को लेकर 150 से भी ज्यादा पूर्व सैनिकों जिनमे 8 तीनों सेनाओं के चीफ भी रह चुके हैं ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद लिखा पत्र। यूपी सीएम योगी आदित्य नाथ के 'मोदी की सेना' वाले बयान पर जताया कड़ा विरोध।

राजनीती में सेना नाम और काम के इस्तेमाल को लेकर 150 से भी ज्यादा पूर्व सैनिकों जिनमे 8 तीनों सेनाओं के चीफ भी रह चुके हैं ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद लिखा पत्र। यूपी सीएम योगी आदित्य नाथ के ‘मोदी की सेना’ वाले बयान पर जताया कड़ा विरोध।

पूर्व सेना ,नौसेना और वायुसेना के 8 प्रमुखों सहित 150 से ज्यादा पूर्व सैनिकों ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखा जिसमें लोकसभा चुनावों में सेना के राजनीतिकरण के खिलाफ लिखा है।

लिखे गए पत्र के शीर्षक में पूर्व सैनिकों ने लिखा -‘हमारे सर्वोच्च कमांडर के लिए पूर्व सैनिकों के समूह से।’उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टिप्पणी ‘मोदी की सेना’ पर कड़ी आपत्ती।

पत्र में लिखा भारत की तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर होने के नाते हम आपका ध्यान कुछ चिंताओं जिनमे सेवारत और सेवानिवृत सैन्य कर्मियों के बीच काफी बेचैनी बड़ी है की तरफ लाना चाहते हैं।

सर हम सीमा पर सीमा के पार किए जाने वाले सैन्य अभियानों का राजनितिक नेताओं द्वारा श्रेय लेने वाले अस्वीकार्य कार्य का उल्लेख करते हैं। यहां तक नेताओं द्वारा मोदी की सेना होने का दावा भी किया गया है। उन्होंने कहा ,चुनाव प्रचार के दौरान विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान की तस्वीरों और सैन्य वर्दी का भी इस्तेमाल किया गया है।

पूर्व सेना प्रमुख

पत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं में तीन पूर्व सेना प्रमुख हैं, सुनीथ फ्रांसिस रोड्रिग्स, शंकर रॉय चौधरी, दीपक कपूर, चार पूर्व नौसेना प्रमुख लक्ष्मी नारायण रामदास, विष्णु भागवत, अरुण प्रकाश, सुरेश मेहता और पूर्व वायु सेना प्रमुख एन सी सूरी हैं।

हस्ताक्षरकर्ताओं ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को सशस्त्र बलों का सर्वोच्च कमांडर होने के नाते आग्रह किया है कि सभी राजनितिक दलों द्वारा उनके राजनितिक अजेंडे को बढ़ाने के लिए सेना के इस्तेमाल को रोका जाए।

उन्होंने राष्ट्रपति से मांग की है कि सभी राजनितिक दलों को तत्काल निर्देशित करें कि वे सेना,सैन्य वर्दी ,सेना के प्रतीकों और सेना द्वारा किए गए किसी भी कार्य को राजनितिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल से रोका जाए।

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