Voyager 1 43 साल बाद फिर जिंदा हुआ

Voyager 1: नासा के साथ वयोगर 1 का संपर्क फिर हो गया है। पृथ्वी से 24 अरब किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में स्थापित स्पेसक्राफ्ट के साथ 1981 में आखिरी बार संपर्क हुआ था।

Voyager 1 से NASA का हुआ संपर्क

स्पेसक्राफ्ट का हाल ही में नासा के साथ संपर्क हो गया है। अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्थित जेट प्रोपल्शन लेबोटरी (JPL) के इंजीनियर्स ने यह कारनामा कर दिखाया है। स्पेस एयरक्राफ्ट से 43 साल बाद 24 अक्टूबर को दोबारा संपर्क हुआ। इंजीनियर्स ने रेडियो ट्रांसमीटर की मदद से वयोगर 1 के साथ संपर्क किया।

Voyager 1 का ट्रांसमीटर बंद था

यह इंटरस्टालर स्पेस में स्थापित है। 16 अक्टूबर को एयरक्राफ्ट का एक ट्रांसमीटर बंद हो गया था। तकनीकी गड़बड़ी के कारण सिस्टम बंद हो जाता था। जिसे अब दुरुस्त कर लिया गया है।

Voyager 1 तक संदेश पहुंचने में लगता है इतना समय

नासा के अनुसार, एक संदेश को पृथ्वी से स्पेसक्राफ्ट तक पहुंचने में 23 घंटे लगते हैं। उपग्रह 1 से पृथ्वी तक सिग्नल पहुंचने में भी इतना ही समय लगता है।

Voyager 1 को नासा ने भेजी कमांड

नासा के इंजीनियर्स ने 16 अक्टूबर को वयोगर 1 को कमांड भेजी थी। जिसके बाद 18 अक्टूबर तक वयोगर 1 की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके एक दिन बाद वयोगर 1 का संचार पूरी तरह से बंद हो गया था। नासा की टीम को पता चला कि स्पेसक्राफ्ट के फाल्ट प्रोटेक्शन सिस्टम ने लोअर पॉवर वाले ट्रांसमीटर को स्विच ऑफ कर दिया।

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वयोगर 1 में 2 रेडियो ट्रांसमीटर हैं। लेकिन  पिछले चार दशक से भी अधिक समय से केवल के ही ट्रांसमीटर का इस्तेमाल किया जा रहा था। एक्स बैंड वाला ट्रांसमीटर काम कर रहा था लेकिन एस बैंड वाला ट्रांसमीटर 1981 से बंद था।

नासा को तकनीकी गड़बड़ी का पता न चलने के कारण एक्स बैंड ट्रांसमीटर को बंद करने का विकल्प चुनना पड़ा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी को ये काम पूरा करने के लिए लंबा समय लगा।

वयोगर मिशन के हेड,ब्रूस वैगनर ने समाचार एजेंसी CNN से कहा,” इंजीनियर्स ने यह सुनिश्चित करने के लिए 22 अक्टूबर को वयोगर 1 को एक संदेश भेजा। संदेश एस बैंड को चेक करने के लिए भेजा गया था। ”

वयोगर 1 को 2 के बाद लॉन्च किया गया था। वयोगर 2 को 15 दिसंबर 1977 को लॉन्च किया गया था। लेकिन तेज गति के कारण वयोगर 1 क्षुद्रग्रह की बेल्ट से बाहर निकल गया था।

वयोगर 1 ने मून और जुपिटर के आसपास दो नए जोवीयन-थेबे और और मेटीस के चारों तरफ पतले छल्ले की खोज की है।

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