NEET UG Results 2024: रद्द नहीं होगा नीट पेपर, ग्रेस मार्क्स वालों को दोबारा देनी होगी परीक्षा: सुप्रीम कोर्ट
जून 13, 2024 | by
NEET UG Results 2024: सुप्रीम कोर्ट ने नीट यूजी परीक्षा 2024 की सुनवाई करते हुए परीक्षा को रद्द नहीं करने का निर्देश दिया है। वहीं केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत में कहा कि ग्रेस मार्क्स वालों की परीक्षा 23 जून को दोबारा होगी। छात्रों को दो विकल्प दिए गए हैं।
नीट यूजी परीक्षा 2024 के परिणामों पर हुए विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सर्वोच्च अदालत ने नीट यूजी परीक्षा के परिणामों में अनियमितता को देखते हुए एनटीए को ग्रेस मार्क्स रद्द करने का निर्दश दिया है। अदालत ने ग्रेस मार्क्स वाले छात्रों की दोबारा परीक्षा लेने का निर्देश दिया है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
नीट यूजी परिणाम विवाद
बता दें, ये विवाद तब शुरू हुआ था जब नीट यूजी 2024 के नतीजे में 67 छात्रों को 720 में 720 मार्क्स दिए गए थे। NTA ने अपनी सफाई में अदालत में कहा कि टाइम ऑफ़ लॉस के कारण 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे। जिसकी वजह से 44 छात्रों के मार्क्स 720 हुए थे। हालांकि, अदालत में सुनवाई के बाद NTA ने ग्रेस मार्क्स को रद्द करने का फैसला लिया है। एनटीए ने ये फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लिया। कोर्ट ने कहा कि ग्रेस मार्क्स पाने वाले छात्रों की ही दोबारा परीक्षा होगी।
छात्रों को दिए गए दो विकल्प
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने काउंसलिंग पर रोक लगाने से मना कर दिया है। जिन छात्रों को ग्रेस मार्क्स मिले थे, उनकी दोबारा परीक्षा 23 जून को आयोजित की जाएगी। एनटीए ने ग्रेस मार्क पाने वाले छात्रों को दो विकल्प दिए हैं। यह छात्र दोबारा परीक्षा दे सकते हैं या फिर अपने पुराने स्कोर के साथ काउंसलिंग की तरफ बढ़ सकते हैं। इन छात्रों के स्कोर कार्ड से ग्रेस मार्क्स हटा दिए जाएंगे। जिन उम्मीदवारों को खुद पर विश्वास है, वे री-एग्जाम में बैठ सकते हैं।
क्यों हुआ नीट रिजल्ट्स पर हंगामा ?
NTA ने 5 मई को नीट यूजी परीक्षा का आयोजन किया था। जिसके रिजल्ट 4 जून को डिक्लेयर किए गए। नीट यूजी के परिणाम आने के बाद देश भर में हंगामा खड़ा हो गया। जिसकी वजह 67 छात्रों को 720 में से 720 अंक मिलना था। इतना ही नहीं 1563 बच्चों को ग्रेस मार्किंग भी दी गई थी। ग्रेस मार्क में 100 से लेकर 150 नंबर दिए गए। एनटीए के इसी गलत फैसले के कारण मेरिट में आने वाले छात्र बाहर हो गए थे और जो बाहर थे वे मेरिट में आ गए थे। ऐसे में मेधावी छात्रों को सरकारी कॉलेज में दाखिला लेना मुश्किल हो गया था।
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