14 फरवरी को CRPF के जवानों पर हुए हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट पर एयरस्ट्राइक कर जैश-ए-मोहम्मद आतंकी सगठन के शिविरों को ध्वस्त किया था।
जैश-ए-मोहम्मद आतंकी सगठन के ठिकानों पर भारतीय वायुसेना द्वारा किए गए हमले का कोड ‘ऑपरेशन बंदर’ था। सेना जब की किसी मिशन को अंजाम देती है तब ऐसे ही मिशन का नाम और कोड दिया जाता है। वायुसेना के वरिष्ठ सूत्रों ने न्यूज़ एजेंसी भाषा को बताते हुए कहा,”बंदर का भारत की युद्ध संस्कृति में विशेष योगदान रहा है। महकाव्य रामायण में भी देखा देखा गया है ,जहां भगवान श्री राम के सेनाध्यक्ष हनुमान ने रावण की लंका में चुपचाप प्रवेश किया और राक्षस रावण की पूरी राजधानी को नष्ट कर दिया।”
आपको बता दें ,26 फरवरी को भारत के कई हवाई ठिकानों से उड़ान भरते हुए 12 मिराज ने पाकिस्तानी एयरस्पेस को पार करते हुए खैबर पख्तूनवा प्रांत के बालाकोट (Balakot ) में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए। इस हमले में मिसाइल का इस्तेमाल करते हुए आतंकी शिविरों को नष्ट किया।
इस हमले में भारतीय वायुसेना (IAF) 5 स्पाइस 2000 बम गिराए थे। जिनमें से चार उन इमारतों पर गिरे जिनमें जैश-ए-मोहम्मद आतंकी सो रहे थे। ये हमला 26 फरवरी को सुबह 3.30 बजे किया गया था। ऑपरेशन बंदर (Operation Bandar) को अंजाम देने के बाद भारतीय वायुसेना के विमान कुछ मिनटों में वापिस अपने ठिकानों पर आ गए थे।
बालाकोट पर हमले में इस्तेमाल किए गए विमा स्क्वाड्रन नंबर 7 और 9 के थे। इस हमले में कुछ अन्य मिराज और ‘सुखोई-30 एमकेआई’ विमानों को कोई गड़बड़ होने पर स्टैंडबाई रखा गया था।
भारतीय वायुसेना ( IAF )द्वारा सरकार को दी गई जानकारी के अनुसार 80 फ़ीसदी बमों को अपने लक्ष्य पर गिरा दिया गया था। और दुश्मन के ठिकानों को क्षति पहुंचाई थी। हमले के समय भारतीय वायुसेना ने किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए अपनी गरुड़ कमांडो की टीम को भी स्टैंडबाई रखा हुआ था। भारतीय वायुसेना इस ऑपरेशन को अंजाम देने वाले सभी पायलटों को वायुसेना मैडल देने की योजना बना रही है।