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Piyush Pandey का निधन: भारतीय विज्ञापन जगत के एक युग का अंत

Piyush Pandey का निधन

Piyush Pandey passes away: भारतीय विज्ञापन उद्योग के एक प्रमुख स्तंभ, रचनात्मक प्रतिभा के धनी पीयूष पांडे का आज (24 अक्टूबर 2025) सुबह निधन हो गया। वह 70 वर्ष के थे।

Piyush Pandey passes away

भारतीय विज्ञापन उद्योग के एक प्रमुख स्तंभ, रचनात्मक प्रतिभा के धनी पीयूष पांडे का आज (24 अक्टूबर 2025) सुबह निधन हो गया। वह मात्र 70 वर्ष के थे। लंबे समय से संक्रमण (इन्फेक्शन) से पीड़ित पांडे का निधन मुंबई में हुआ। उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर 11 बजे शिवाजी पार्क, मुंबई में संपन्न होगा।

इस खबर ने विज्ञापन जगत, राजनीति और मनोरंजन क्षेत्र से जुड़े लोगों को गहरा सदमा पहुंचाया है। पीयूष पांडे (Piyush Pandey) को भारतीय विज्ञापन का ‘आर्किटेक्ट’ कहा जाता था, जिन्होंने सामान्य भाषा, हास्य और भावनाओं से भरपूर विज्ञापनों के माध्यम से ब्रांड्स को जन-जन तक पहुंचाया।

Piyush Pandey का करियर

पीयूष पांडे का जन्म 1958 में हुआ था। क्रिकेटर बनने का सपना देखने वाले पांडे ने युवावस्था में चाय टेस्टर और निर्माण मजदूर जैसे काम भी किए। 1982 में मात्र 27 वर्ष की आयु में उन्होंने ओगिल्वी एंड माथर (ओगिल्वी इंडिया) जॉइन किया, जहां वे 40 वर्षों से अधिक समय तक जुड़े रहे। यहां वे चीफ क्रिएटिव ऑफिसर (वर्ल्डवाइड) और एक्जीक्यूटिव चेयरमैन के पद पर कार्यरत थे।

Piyush Pandey के हिंदी विज्ञापन

पांडे ने भारतीय विज्ञापन को अंग्रेजी-केंद्रित से हटाकर हिंदी और स्थानीय बोलचाल की भाषा में ढाला। जिससे विज्ञापन सांस्कृतिक रूप से भारतीय हो गए। उनकी रचनाओं में रोजमर्रा की जिंदगी, हास्य और भावुकता का अनोखा मिश्रण था। जो ब्रांड्स को सिर्फ बेचने वाले से कनेक्ट करने वाले बनाता था।

Piyush Pandey के प्रमुख विज्ञापन

पीयूष पांडे के क्रेडिट पर कई ऐसे विज्ञापन हैं जो आज भी भारतीय संस्कृति का हिस्सा बने हुए हैं। कुछ प्रमुख नीचे लिखे हैं।

Piyush Pandey के पुरस्कार

पीयूष पांडे को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले। वे पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित थे। इसके अलावा, उन्होंने कांस लायन्स जैसे वैश्विक विज्ञापन पुरस्कार जीते और भारतीय विज्ञापन को वैश्विक पटल पर पहचान दिलाई।

Piyush Pandey का निधन: एक युग का अंत

विज्ञापन उद्योग के कई दिग्गजों ने उन्हें “एक युग का अंत” बताया। ओगिल्वी के सहकर्मियों ने कहा कि उनकी हंसी और मूंछें हमेशा याद रहेंगी। पीयूष पांडे का जाना भारतीय विज्ञापन के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी विरासत विज्ञापनों के माध्यम से जीवित रहेगी, जो न सिर्फ उत्पाद बेचते हैं, बल्कि कहानियां सुनाते हैं।

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