RSS प्रमुख मोहन भागवत ने पिछले साल हरिद्वार में हुई धर्म संसद में दिए गए आपत्तिजनक बयानों पर पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दी है। भागवत ने कहा कि धर्म संसद के आयोजनों में दिए गए कथित अपमानजनक बयान हिंदू विचारधारा का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
भागवत ने ब्यानों को लेकर जताई नाराजगी
हरिद्वार में पिछले साल हुई धर्म संसद के आयोजनों में कही गई बातों पर दुख व्यक्त करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि धर्म संसद की घटनाओं में जो कुछ भी निकला हुआ है हिंदू शब्द नहीं है। संघ प्रमुख की टिप्पणी तब आई जब वह नागपुर में एक अखबार के स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर आयोजित हिंदू धर्म और राष्ट्रीय एकता व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे।
समझाया हिंदुत्व का मतलब
मोहन भागवत ने कहा- हिंदुत्व का एक वाद नहीं है हिंदुत्व का अंग्रेजी अनुवाद हिंदुत्व है। इसका उल्लेख सबसे पहले गुरु नानक देव जी ने किया था। इसका उल्लेख महाभारत और रामायण में नहीं है हिंदू का मतलब एक सीमित चीज नहीं है यह गतिशील है जो अनुभव के साथ लगातार बदलता रहता है।
उन्होंने आगे कहा,” व्यक्तिगत लाभ या दुश्मनी को देखते हुए दिए गए बयान हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं और ऐसे लोग जो वास्तव में हिंदुत्व का पालन करते हैं वे इसके गलत अर्थ में विश्वास नहीं करते हैं। विवेक, संतुलन और सभी के प्रति आत्मीयता हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व करती है।”
क्या है मामला ?
आपको बता दें, हरिद्वार, दिल्ली और छत्तीसगढ़ में आयोजित हुई धर्म संसद में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले भड़काऊ भाषण दिए गए थे। धर्म संसद का आयोजन हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर 2021 के बीच हुआ था। यति नरसिंहानंद और दिल्ली में हिंदू युवा वाहिनी द्वारा समुदाय विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए गए थे।
26 दिसंबर 2021 को छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में उस समय विवाद ने जन्म लिया जब हिंदू धर्म गुरु कालीचरण महाराज ने कथित तौर पर समुदाय विशेष और महात्मा गांधी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी।